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कंवरलाल मीणा की माफी याचिका होगी स्वीकार, राज्यपाल को सिफारिश देगी भजनलाल सरकार?

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जयपुर: चुनाव के दौरान एसडीएम पर पिस्टल तानकर धमकाने के मामले में सजायाफ्ता बीजेपी के पूर्व विधायक कंवर लाल मीणा की माफी याचिका को लेकर प्रदेश में काफी हलचल है। कंवरलाल मीणा की याचिका राज्यपाल हरी भाऊ बागडे़ के पास गई हैं, लेकिन अब इस मामले में राज्यपाल राज्य मंत्रिमंडल की सिफारिश के बाद ही निर्णय करेंगे। इसको लेकर अब सियासत में हलचल मच गई है। कई तरह के कयास भी लगाए जा रहे हैं। सियासी गलियारों में चर्चा है कि भजनलाल सरकार की कैबिनेट अपने ही पूर्व विधायक कंवर लाल मीणा को लेकर राज्यपाल को क्या सिफारिश करेंगे? क्या कंवरलाल की सजा माफ होगी? इसको सियासी जानकार लोग अपने अपने जोड़, गुणा और भाग लगा रहे हैं।





कैबिनेट की सिफारिश के बाद राज्यपाल लेंगे निर्णय

भाजपा के पूर्व विधायक कंवरलाल मीणा अंता विधानसभा से पिछले 2023 के चुनाव में विधायक चुने गए। इस बीच करीब 20 साल पुराने मामले में एसडीएम को धमकाने आरोप में दोषी पाए जाने पर बांरा जिले की अकलेरा कोर्ट ने उन्हें 3 साल की सजा सुनाई। इधर, पूर्व विधायक की सजा माफी याचिका अब राजस्थान के राज्यपाल के पास है, लेकिन याचिका के बारे में स्पष्ट है कि मंत्रिमंडल की सिफारिश के बाद ही राज्यपाल निर्णय कर सकते हैं। इसके लिए प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। इधर, पूर्व विधायक की दया याचिका के खिलाफ कांग्रेस और सामाजिक संगठन लगातार विरोध कर रहे हैं। इसको लेकर सूचना एवं रोजगार अधिकार अभियान की ओर से सामाजिक कार्यकर्ता अरुण राय समेत सामाजिक संगठनों ने भी इसका विरोध किया हैं।





कैबिनेट की सिफारिश के कयास को लेकर चर्चाएं तेज

कैबिनेट की सिफारिश के बाद राज्यपाल कंवर लाल मीणा की दया याचिका पर निर्णय करेंगे। इसको लेकर सियासी गलियारों में जमकर हलचल तेज है। इसको लेकर कई तरह के कयास भी लगाए जा रहे हैं। सियासत की नजरे इस पर टिकी हुई है, क्या कैबिनेट अपने ही पूर्व विधायक की सजा को माफ करने की सिफारिश करेगी या नहीं? वहीं, इस मामले में राज्यपाल चाहे तो विधि विभाग या महाअधिवक्ता से भी विधिक राय भी ले सकते हैं। इसके बाद राज्यपाल पूर्व विधायक की सजा माफ या सजा घटाने का निर्णय भी ले सकते हैं, लेकिन यह सब भी राज्यपाल पर निर्भर करेगा।





कंवरलाल मीणा के धमकाने का यह है पूरा मामला

बता दें कि विधायक कंवरलाल मीणा पर 20 वर्ष पूर्व चुनाव अधिकारी पर पिस्टल तान धमकाने और राजकार्य में बाधा पहुंचाने का आरोप लगा था। इसके बाद एडीजे कोर्ट अकलेरा ने विधायक मीणा को मामले में दोषी करार देकर 3 साल की सजा सुनाई। इस फैसले के खिलाफ विधायक मीणा ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था, लेकिन विधायक को हाईकोर्ट ने कोई राहत नहीं दी। विधायक की याचिका पर सुनवाई करते हुए एडीजी कोर्ट अकलेरा के फैसले को बरकरार रखा।

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