बिरयानी अबिरामी। सुनने में थोड़ा अटपटा लगता है ना! लेकिन ये नाम मिला उस महिला को, जिसने अपने ही 2 बच्चों के खून से अपने हाथ रंग लिए। अबिरामी को टिकटॉक वीडियो बनाने और बिरयानी खाने का गजब का शौक था। इसी शौक में वो घर पर बिरयानी डिलीवर करने वाले को दिल दे बैठी। इश्क में वो ये भी भूल गई, उसका एक पति और दो बच्चे भी हैं।
वो बिरयानी वाले के इश्क में इस कदर पागल हुई कि अपने आशिक के साथ 'नई दुनिया' बसाने के लिए उन्हीं मासूमों को रास्ते से हटाने का फैसला कर लिया, जिन्हें उसने खुद अपनी कोख से जन्म दिया था। आखिरकार कल 25 जुलाई गुरुवार को कानून ने उसके गुनाहों का हिसाब कर दिया। उसके और उसके चाहने वाले मीनाची सुदंरम की सजा मुकर्रर हुई..आखिरी सांस तक उम्रकैद।
कैसे हुआ बिरयानी वाले से प्यार तमिलनाडु के कांचीपुरम का यह मामला सितंबर 2018 का है। अबिरामी की जिंदगी भी बाकी आम मध्यम परिवार जैसी ही थी। पति विजय बैंक में नौकरी करता था। एक बेटा था 7 साल का और 4 साल की बेटी थी। घर चलाते-चलाते उसे टिकटॉक पर वीडियो बनाने का चस्का लग गया। वो पॉपुलर भी होने लगी। पास में एक मशहूर बिरयानी का आउटलेट था। वीडियो बनाने के साथ उसे चटखारे लेकर बिरयानी खाने का भी चस्का था। इसी बिरयानी स्टॉल पर काम करता था मीनाची सुंदरम। बिरयानी डिलीवर करने वो ही घर आता। ये मुलाकात धीरे-धीरे दोस्ती और फिर प्यार में बदल गई।
प्यार में रोकटोक नहीं हुई बर्दाश्त लेकिन अबिरामी के पति को इस अफेयर के बारे में पता चलते देर नहीं लगी। दोनों के परिवार वालों ने सख्त हिदायत दी कि एक-दूसरे से दूर रहें। लेकिन अब दोनों को दूरियां बर्दाश्त नहीं थी। लेकिन अबिरामी के सपनों में उसके बच्चे और पति आड़े आ रहे थे। तो दोनों ने मिलकर तीनों को ही ठिकाने लगाने का फैसला कर लिया।
नींद की गोली काम नहीं आई तो गला घोंटा सुंदरम ने नींद की गोलियां खरीदीं। योजना बनाई गई कि पहले दोनों बच्चों को और फिर विजय को ओवरडोज के साथ मार दिया जाएगा। अबिरामी ने सभी के दूध में नींद की गोलियां मिला दीं। बेटी तो दूध पीने के बाद हमेशा के लिए सो गई। लेकिन बेटा अजय और पति विजय बच गए। अगली सुबह विजय ऑफिस के लिए निकल गया। जबकि बेटा अजय नींद की गोलियों के नशे में था। अबिरामी को अब भी दया नहीं आई। उसने बेटे का मुंह तकिए से तब तक दबाए रखा, जब तक उसकी जान नहीं चली गई।
इस वजह से बच गई विजय की जान विजय को घर लौटने में देरी हो रही थी, तो अबिरामी और सुंदरम उसे जिंदा छोड़कर ही कन्याकुमारी भाग गए। अगले दिन विजय को अपने बच्चों की लाश मिली तो उसके पैरों से जमीन ही खिसक गई। पुलिस को जानकारी दी गई और जांच शुरू हुई। आखिरकार दोनों पुलिस की गिरफ्त में आए और दोनों ने अपना गुनाह कबूल कर लिया।
अदालत ने नहीं दिखाई दया अपने ही बच्चों का कत्ल करने वाली मां पर अदालत ने भी कोई दया नहीं दिखाई। अबिरामी और सुंदरम ने प्रिंसिपल डिस्ट्रिक्ट एंड सेशन कोर्ट से गुहार लगाई कि इतने साल से जेल में होने की वजह से उनकी सजा कम कर दी जाए। मगर जज बीजू चेम्मल ने दो टूक कह दिया, 'इस गुनाह के लिए सिर्फ उम्रकैद काफी नहीं है। इन्हें अपनी आखिरी सांस तक जेल की सलाखों के पीछे ही रहना होगा।'
वो बिरयानी वाले के इश्क में इस कदर पागल हुई कि अपने आशिक के साथ 'नई दुनिया' बसाने के लिए उन्हीं मासूमों को रास्ते से हटाने का फैसला कर लिया, जिन्हें उसने खुद अपनी कोख से जन्म दिया था। आखिरकार कल 25 जुलाई गुरुवार को कानून ने उसके गुनाहों का हिसाब कर दिया। उसके और उसके चाहने वाले मीनाची सुदंरम की सजा मुकर्रर हुई..आखिरी सांस तक उम्रकैद।
कैसे हुआ बिरयानी वाले से प्यार तमिलनाडु के कांचीपुरम का यह मामला सितंबर 2018 का है। अबिरामी की जिंदगी भी बाकी आम मध्यम परिवार जैसी ही थी। पति विजय बैंक में नौकरी करता था। एक बेटा था 7 साल का और 4 साल की बेटी थी। घर चलाते-चलाते उसे टिकटॉक पर वीडियो बनाने का चस्का लग गया। वो पॉपुलर भी होने लगी। पास में एक मशहूर बिरयानी का आउटलेट था। वीडियो बनाने के साथ उसे चटखारे लेकर बिरयानी खाने का भी चस्का था। इसी बिरयानी स्टॉल पर काम करता था मीनाची सुंदरम। बिरयानी डिलीवर करने वो ही घर आता। ये मुलाकात धीरे-धीरे दोस्ती और फिर प्यार में बदल गई।
प्यार में रोकटोक नहीं हुई बर्दाश्त लेकिन अबिरामी के पति को इस अफेयर के बारे में पता चलते देर नहीं लगी। दोनों के परिवार वालों ने सख्त हिदायत दी कि एक-दूसरे से दूर रहें। लेकिन अब दोनों को दूरियां बर्दाश्त नहीं थी। लेकिन अबिरामी के सपनों में उसके बच्चे और पति आड़े आ रहे थे। तो दोनों ने मिलकर तीनों को ही ठिकाने लगाने का फैसला कर लिया।
नींद की गोली काम नहीं आई तो गला घोंटा सुंदरम ने नींद की गोलियां खरीदीं। योजना बनाई गई कि पहले दोनों बच्चों को और फिर विजय को ओवरडोज के साथ मार दिया जाएगा। अबिरामी ने सभी के दूध में नींद की गोलियां मिला दीं। बेटी तो दूध पीने के बाद हमेशा के लिए सो गई। लेकिन बेटा अजय और पति विजय बच गए। अगली सुबह विजय ऑफिस के लिए निकल गया। जबकि बेटा अजय नींद की गोलियों के नशे में था। अबिरामी को अब भी दया नहीं आई। उसने बेटे का मुंह तकिए से तब तक दबाए रखा, जब तक उसकी जान नहीं चली गई।
इस वजह से बच गई विजय की जान विजय को घर लौटने में देरी हो रही थी, तो अबिरामी और सुंदरम उसे जिंदा छोड़कर ही कन्याकुमारी भाग गए। अगले दिन विजय को अपने बच्चों की लाश मिली तो उसके पैरों से जमीन ही खिसक गई। पुलिस को जानकारी दी गई और जांच शुरू हुई। आखिरकार दोनों पुलिस की गिरफ्त में आए और दोनों ने अपना गुनाह कबूल कर लिया।
अदालत ने नहीं दिखाई दया अपने ही बच्चों का कत्ल करने वाली मां पर अदालत ने भी कोई दया नहीं दिखाई। अबिरामी और सुंदरम ने प्रिंसिपल डिस्ट्रिक्ट एंड सेशन कोर्ट से गुहार लगाई कि इतने साल से जेल में होने की वजह से उनकी सजा कम कर दी जाए। मगर जज बीजू चेम्मल ने दो टूक कह दिया, 'इस गुनाह के लिए सिर्फ उम्रकैद काफी नहीं है। इन्हें अपनी आखिरी सांस तक जेल की सलाखों के पीछे ही रहना होगा।'
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