25 साल का हरि। अयोध्या और सुल्तानपुर के बीच जंजीरों में जकड़ा गया। जिसे जंगलों में आजाद घूमने की आदत थी, उसके पैरों में बेड़ियां डाल मुट्ठी भर जमीन में समेट दिया गया। लेकिन हर रात की सुबह होती है। हरि नाम के गजराज के लिए भी 23 जुलाई का दिन ऐसी ही नई सुबह लेकर आया। अयोध्या से इस हाथी को आजाद कराया गया और मथुरा के अस्पताल में सुरक्षित लाया गया है।
लेकिन अयोध्या से मथुरा तक का करीब 550 किलोमीटर का सफर आसान नहीं था। कदम-कदम पर चुनौतियां थीं। लेकिन वन अधिकारियों ने Wildlife SOS के साथ मिलकर इस मुश्किल काम को संभव बना दिया। आज हरि 'हाथी' चैन से रोटी, गुड़ और कटहल खा रहा है। उसका इलाज भी चल रहा है। इंसानों ने उसे जो जख्म दिए हैं, उन्हें भरने की भी कोशिशें जारी हैं। आइए आपको लेकर चलते हैं अयोध्या से मथुरा तक के इस सफर पर।
जंजीरों में बंधा मिला हरि हरि एक युवा हाथी है, जिसे वाइल्डलाइफ नियमों की अनदेखी करते हुए जबरन कैद रखा हुआ था। महावत उसे जंजीरों से बांधकर रखता। इस वजह से पैर में घाव हो गए थे। यही नहीं उसके पैर भी टेड़े हो गए थे, जो इस बात के संकेत थे, वो किसी बीमारी से ग्रसित है। डॉक्टर प्रमोद राजपूत के नेतृत्व में Wildlife SOS की टीम 14 जुलाई को पहुंची। साथ में मेडिकल टीम भी थी। जल्द ही हरि को खाने के लिए पौष्टिक आहार दिया जाने लगा ताकि उसके शरीर में ताकत आए। रोटी और केला उसे खासतौर से पसंद है।
एक हफ्ते बाद मिली परमिशन जिस गांव में पेड़ से हरि को बांधा हुआ था, वहां लगातार बढ़ती भीड़ से वन अधिकारी ही नहीं खुद हरि भी परेशान हो रहा था। कई मौकों पर वो गुस्सा जाहिर कर रहा था। इससे रेस्क्यू टीम में थोड़ी चिंता भी थी। करीब एक हफ्ते के बाद SOS की टीम को हरि को हाथियों के अस्पताल ले जाने की अनुमति मिली। इसके लिए खासतौर से तैयार Wildlife SOS की एंबुलेंस मौके पर पहुंच गई।
फिर शुरू हुआ सफर 22 जुलाई को एंबुलेंस में हरि के लिए खाने-पीने का पूरा सामान रखा गया और हरि का नई जिंदगी की ओर सफर शुरू हो गया। रास्ते में बारिश हुई तो टीम को थोड़ी चिंता हुई।
लेकिन हरि के लिए बारिश की बूंदें राहत वाली थीं और उसके लिए सब कुछ एक पिकनिक जैसा हो गया था। आखिरकार मथुरा में हाथियों के अस्पताल में उसे पहुंचा दिया गया, जहां उसका इलाज चल रहा है।
लेकिन अयोध्या से मथुरा तक का करीब 550 किलोमीटर का सफर आसान नहीं था। कदम-कदम पर चुनौतियां थीं। लेकिन वन अधिकारियों ने Wildlife SOS के साथ मिलकर इस मुश्किल काम को संभव बना दिया। आज हरि 'हाथी' चैन से रोटी, गुड़ और कटहल खा रहा है। उसका इलाज भी चल रहा है। इंसानों ने उसे जो जख्म दिए हैं, उन्हें भरने की भी कोशिशें जारी हैं। आइए आपको लेकर चलते हैं अयोध्या से मथुरा तक के इस सफर पर।
जंजीरों में बंधा मिला हरि हरि एक युवा हाथी है, जिसे वाइल्डलाइफ नियमों की अनदेखी करते हुए जबरन कैद रखा हुआ था। महावत उसे जंजीरों से बांधकर रखता। इस वजह से पैर में घाव हो गए थे। यही नहीं उसके पैर भी टेड़े हो गए थे, जो इस बात के संकेत थे, वो किसी बीमारी से ग्रसित है। डॉक्टर प्रमोद राजपूत के नेतृत्व में Wildlife SOS की टीम 14 जुलाई को पहुंची। साथ में मेडिकल टीम भी थी। जल्द ही हरि को खाने के लिए पौष्टिक आहार दिया जाने लगा ताकि उसके शरीर में ताकत आए। रोटी और केला उसे खासतौर से पसंद है।
Hari is finally safe- and inside the Elephant Hospital Campus.
— Wildlife SOS (@WildlifeSOS) July 23, 2025
After a long and carefully managed journey, he has taken his first steps into a space built for healing. Our veterinary team is now conducting initial assessments to understand his condition and begin the treatment he… pic.twitter.com/yL5qi2BQe8
एक हफ्ते बाद मिली परमिशन जिस गांव में पेड़ से हरि को बांधा हुआ था, वहां लगातार बढ़ती भीड़ से वन अधिकारी ही नहीं खुद हरि भी परेशान हो रहा था। कई मौकों पर वो गुस्सा जाहिर कर रहा था। इससे रेस्क्यू टीम में थोड़ी चिंता भी थी। करीब एक हफ्ते के बाद SOS की टीम को हरि को हाथियों के अस्पताल ले जाने की अनुमति मिली। इसके लिए खासतौर से तैयार Wildlife SOS की एंबुलेंस मौके पर पहुंच गई।
फिर शुरू हुआ सफर 22 जुलाई को एंबुलेंस में हरि के लिए खाने-पीने का पूरा सामान रखा गया और हरि का नई जिंदगी की ओर सफर शुरू हो गया। रास्ते में बारिश हुई तो टीम को थोड़ी चिंता हुई।
#HariUpdate #RescueAlert
— Wildlife SOS (@WildlifeSOS) July 23, 2025
The weather turned volatile without warning- heavy rain, strong winds, and falling temperatures. But our elephant ambulance is fully equipped to keep Hari safe and comfortable. We continue the journey- slow, steady, and focused. pic.twitter.com/8NpJNDlYj4
लेकिन हरि के लिए बारिश की बूंदें राहत वाली थीं और उसके लिए सब कुछ एक पिकनिक जैसा हो गया था। आखिरकार मथुरा में हाथियों के अस्पताल में उसे पहुंचा दिया गया, जहां उसका इलाज चल रहा है।
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