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सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस वर्मा ने छुपाई अपनी पहचान, XXX नाम से दायर की याचिका, जानें कब होता है ऐसा

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नई दिल्ली: अपने आवास पर मिली नकदी की बोरियों के मामले में संसद में निष्कासन प्रस्ताव का सामना कर रहे जस्टिस यशवंत वर्मा ने सुप्रीम कोर्ट में अपनी याचिका में अपनी पहचान गुप्त रखी है। इस याचिका में उन्होंने आंतरिक जांच रिपोर्ट और तत्कालीन चीफ जस्टिस की तरफ से उन्हें जज पद से हटाने की सिफारिश को रद्द करने की मांग की है।



कब होता है इस तरह के नाम का इस्तेमाल

जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह आज जस्टिस वर्मा की याचिका पर सुनवाई करेंगे। इसमें उनका नाम 'XXX' लिखा है। इस तरह के छद्मवेश का इस्तेमाल अदालतों के रिकॉर्ड में यौन उत्पीड़न या हमले की शिकार महिला याचिकाकर्ताओं की पहचान छिपाने के लिए किया जाता है। इसका इस्तेमाल वैवाहिक हिरासत के विवादों में किशोरों और नाबालिगों की पहचान उजागर होने से रोकने के लिए भी किया जाता है। सुप्रीम कोर्ट ने अदालतों से कहा है कि वे अपने फैसलों में बलात्कार पीड़ितों के नाम उजागर न करें।



'XXX बनाम भारत संघ'

जस्टिस वर्मा की याचिका जिसका शीर्षक 'XXX बनाम भारत संघ' है, इस साल सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई 699वीं दीवानी रिट याचिका है। केंद्र सरकार इसमें प्रथम प्रतिवादी है, जबकि सर्वोच्च न्यायालय स्वयं दूसरा प्रतिवादी है। यह याचिका 17 जुलाई को दायर की गई थी। रजिस्ट्री की तरफ से बताई गई खामियों को दर्ज करने के बाद, सुप्रीम कोर्ट ने 24 जुलाई को याचिका दर्ज कर ली।



जस्टिस वर्मा के खिलाफ FIR वाली याचिका

दिलचस्प बात यह है कि जहां एक ओर याचिका 'XXX बनाम भारत संघ' जस्टिस दत्ता की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष क्रम संख्या 56 पर सूचीबद्ध है, वहीं दूसरी ओर एडवोकेट मैथ्यूज जे नेदुम्परा की एक अन्य याचिका उसी पीठ के समक्ष सोमवार को क्रम संख्या 59 पर सूचीबद्ध है। इसमें कैश, उसके जलने और उसके बाद गायब होने के पीछे के रहस्य को उजागर करने के लिए वर्मा के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की मांग की गई है।

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