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ईरान और अमेरिका में दोस्ती करा रही पाकिस्तानी सेना, फील्ड मार्शल मुनीर के 'किसिंजर प्लान' से भारत की बढ़ेगी टेंशन

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इस्‍लामाबाद: पाकिस्‍तान के आर्मी चीफ जनरल असीम मुनीर के वाइट हाउस में लंच करने के बाद से ऐक्‍शन में हैं। पाकिस्‍तान लगातार भारत के साथ जंग रुकवाने के लिए डोनाल्‍ड ट्रंप को नोबेल शांति पुरस्‍कार देने की मांग कर रहा है। वहीं ट्रंप ने भी कम टैरिफ के साथ पाकिस्‍तान संग ट्रेड डील करके एक तरह से जनरल मुनीर को खुशामद का तोहफा दिया है। अब पाकिस्‍तान ने एक बड़ा कदम उठाया है। पाकिस्‍तान अपने पड़ोसी ईरान और अमेरिका के बीच दोस्‍ती कराने की कोशिश कर रहा है। माना जा रहा है कि ट्रंप से इशारा मिलने के बाद पाकिस्‍तान ने ईरानी राष्‍ट्रपति मसूद पेजेश्किआन को न्‍योता दिया और वह आज इस्‍लामाबाद पहुंच रहे हैं। पाकिस्‍तान ने कहा है कि वह अमेरिका और ईरान के बीच तनाव को कम कराने में मदद करेगा। पाकिस्‍तान इसे 'हेनरी किसिंजर' के ऐतिहासिक घटनाक्रम को दोहराने के मौके रूप में ले रहा है।



पाकिस्‍तान के विदेश मंत्रालय के प्रवक्‍ता शफाकत अली खान ने मीडिया से बातचीत में कहा, 'ईरान हमारा करीबी मित्र और भाईचारे वाला पड़ोसी देश है। हम तनाव को कम करने और समस्‍या के राजनयिक हल के प्रयास में सकारात्‍मक योगदान करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। हम अपनी भूमिका निभाने के लिए तैयार हैं और इस भूमिका को जारी रखेंगे।' उनका यह बयान ईरानी राष्‍ट्रपति की दो दिन की पाकिस्‍तान यात्रा से ठीक पहले आया है। पाकिस्‍तान पर्दे के पीछे से ईरान और अमेरिका के बीच दोस्‍ती कराने की कोशिश कर रहा है और दोनों के बीच बातचीत करा रहा है।



अमेरिका और ईरान में पुल बनने से पाकिस्‍तान को क्‍या फायदा?

इससे पहले अमेरिकी विदेश मंत्रालय के प्रवक्‍ता टैमी ब्रूस ने कहा था कि विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने पाकिस्‍तान के भूमिका की तारीफ की है। मार्को रुबियो और पाकिस्‍तान के विदेश मंत्री इशाक डार के बीच हाल ही में मुलाकात भी हुई थी। ईरानी राष्‍ट्रपति पाकिस्‍तान के पीएम शहबाज शरीफ, राष्‍ट्रपति आसिफ अली जरदारी और फील्‍ड मार्शल असीम मुनीर से मुलाकात करेंगे। ईरानी विदेश मंत्री भी पाकिस्‍तान आ रहे हैं और इस दौरान द्विपक्षीय मुद्दे पर व्‍यापक बातचीत होगी। पाकिस्‍तान मीडिया का दावा है कि इस्‍लामाबाद अमेरिका के मैसेंजर की भूमिका निभा रहा है ताकि ट्रंप को खुश किया जा सके। इस पूरी बातचीत को पाकिस्‍तानी सेना और आईएसआई मिलकर कर रहे हैं।



आलम यह है कि पाकिस्‍तानी विदेश मंत्री इशाक डार को इसकी बहुत कम सूचना दी जा रही है। इससे पहले असीम मुनीर के ट्रंप के साथ मुलाकात के बाद अमेरिकी सेना ने ईरान पर बम गिराया था। माना जाता है कि पाकिस्‍तानी आर्मी चीफ ने ट्रंप सरकार को ईरानी परमाणु कार्यक्रम के बारे में खुफिया सूचना शेयर की थी। पाकिस्‍तान को इससे दोहरा फायदा दिख रहा है। एक तरफ जहां ट्रंप इससे खुश हो रहे हैं, वहीं दूसरी ईरान पर भी वह बलूच विद्रोहियों के खिलाफ कार्रवाई के लिए दबाव डाल सकता है।



पाकिस्‍तानी सेना प्रमुख की चाल से भारत की बढ़ेगी टेंशन

पाकिस्‍तान आरोप लगाता रहा है कि बलूचों को ईरान के रास्‍ते भारत से समर्थन मिलता है। भारत ने इसका पुरजोर तरीके से खंडन किया है। पाकिस्‍तानी खुफिया एजेंसियों ने भारत के कुलभूषण जाधव को ईरान के बलूचिस्‍तान इलाके से अगवा किया था। पाकिस्‍तान ईरान और अमेरिका के बीच दोस्‍ती कराकर 1970 के दशक के इतिहास को दोहराने की कोशिश कर रहा है। उस समय अमेरिका और चीन के बीच दुश्‍मनी काफी बढ़ गई थी फिर पाकिस्‍तान ने दोनों के बीच दोस्‍ती कराई। अमेरिका के त्‍तकालीन विदेश मंत्री हेनरी किसिंजर ने बाद में जुलाई 1971 में पाकिस्‍तान के रास्‍ते चुपके से चीन की यात्रा की थी। इसके बाद साल 1972 में तत्‍कालीन अमेरिकी राष्‍ट्रपति निक्‍शन ने चीन का ऐतिहासिक दौरा किया था। पाकिस्‍तान को अब उम्‍मीद है कि इससे अमेरिका के साथ उसके रिश्‍ते फिर से बेहद करीब हो जाएंगे जिसकी मदद से वह कश्‍मीर को लेकर भारत पर दबाव डलवा सकेगा।

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