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राजस्थान की सबसे हॉट सीट ,यहाँ कांग्रेस का मंत्री तो BJP का बूथ कार्यकर्ता, लड़ाई ऐसी कि बड़े-बड़े हैरान

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News India Live, Digital Desk: राजस्थान के चुनावी रण में वैसे तो हर सीट पर घमासान मचा है, लेकिन एक सीट ऐसी है जिसने पूरे प्रदेश का ध्यान अपनी ओर खींच रखा है. यह सीट है बारां जिले कीअंता विधानसभा सीट. यहाँ का मुकाबला किसी David vs Goliath की लड़ाई जैसा हो गया है. एक तरफ हैं कांग्रेस के कद्दावर मंत्री और इलाके के सबसे बड़े नेता,प्रमोद जैन भाया. तो दूसरी तरफ बीजेपी ने मैदान में उतारा है एक ऐसे चेहरे को, जिसने कभी चुनाव लड़ने का सपना भी नहीं देखा था, नाम हैमोरपाल सुमन.यह लड़ाई सिर्फ दो नेताओं की नहीं, बल्कि 'रसूख' और 'जमीन' की, 'हेलीकॉप्टर' और 'मोटरसाइकिल' की लड़ाई बन गई है.कौन हैं प्रमोद जैन भाया? कांग्रेस के 'बाहुबली'प्रमोद जैन भाया का नाम ही इलाके में काफी है. वह प्रदेश सरकार में खान एवं गोपालन मंत्री हैं. उनके पास पैसा है, पावर है, और कार्यकर्ताओं की एक बड़ी फ़ौज है. जब वह प्रचार के लिए निकलते हैं तो गाड़ियों का लंबा काफिला साथ चलता है. वह इलाके के सबसे पुराने और सबसे मजबूत नेताओं में गिने जाते हैं.तो कौन हैं मोरपाल सुमन? बीजेपी के 'सिपाही'अब आते हैं बीजेपी के उम्मीदवार, मोरपाल सुमन पर. इनकी कहानी बिल्कुल उलटी है.वह किसी राजनीतिक घराने से नहीं आते. उनके पिता किसान थे.वह सालों से बीजेपी के लिए एक गुमनाम कार्यकर्ता की तरह काम कर रहे थे. कभी पोस्टर चिपकाए, तो कभी पार्टी के लिए दरी बिछाई.उन्होंने संगठन में जिला महामंत्री जैसे पदों पर काम ज़रूर किया, लेकिन कभी किसी बड़े चुनाव में टिकट की उम्मीद नहीं की थी.जब बीजेपी ने अपने मौजूदा विधायक का टिकट काटकर मोरपाल सुमन का नाम घोषित किया, तो खुद मोरपाल भी हैरान रह गए थे. यह फैसला पार्टी के उन लाखों कार्यकर्ताओं के लिए एक संदेश था कि मेहनत कभी बेकार नहीं जाती.क्यों बन गई यह सीट इतनी दिलचस्प?यह मुकाबला अब राजस्थान की सबसे 'हॉट' सीटों में से एक बन गया है, और इसके पीछे कई बड़ी वजहें हैं:मंत्री के खिलाफ एंटी-इंकम्बेंसी: प्रमोद जैन भाया मंत्री हैं, लेकिन उनके खिलाफ इलाके में 10 साल की 'सत्ता विरोधी लहर' भी है. लोगों में नाराजगी भी है, जिसका फायदा बीजेपी उठाना चाहती है.जाति का तगड़ा खेल: यह सबसे बड़ा फैक्टर है. मोरपाल सुमन धाकड़ समाज से आते हैं, जिसका अंता में करीब 35,000 वोट हैं. यह समाज परंपरागत रूप से बीजेपी का वोटर रहा है, लेकिन पिछले चुनाव में यह छिटक गया था. बीजेपी को उम्मीद है कि मोरपाल इस 'नाराज' वोट को वापस घर ले आएंगे.साधारण बनाम खास की लड़ाई: बीजेपी इसे एक 'आम कार्यकर्ता' और एक 'खास मंत्री' के बीच की लड़ाई बनाकर पेश कर रही है. वह यह संदेश देना चाहती है कि एक साधारण किसान का बेटा भी एक बड़े मंत्री को हरा सकता है.एक तरफ मंत्री जी का लाव-लश्कर है, तो दूसरी तरफ मोरपाल सुमन आज भी अपनी मोटरसाइकिल पर बैठकर गांव-गांव घूम रहे हैं और लोगों से सीधे जुड़ रहे हैं. यह लड़ाई जो भी जीते, लेकिन इसने राजस्थान की राजनीति में यह तो साबित कर दिया है कि कभी-कभी सबसे बड़ा 'योद्धा' वो नहीं होता जिसके पास सबसे बड़े हथियार होते हैं, बल्कि वो होता है जिसकी जमीन मजबूत होती है.
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