News India Live, Digital Desk: घर का सपना पूरा करने के लिए लोग अक्सर होम लोन लेते हैं, लेकिन कई बार वित्तीय परिस्थितियाँ ऐसी हो जाती हैं कि लोन की मासिक किस्त (EMI) चुकाना मुश्किल हो जाता है। ऐसे में मन में सबसे बड़ा डर यही होता है कि कहीं बैंक हमारी प्रॉपर्टी जब्त न कर ले। यह जानना बेहद ज़रूरी है कि बैंक कब और किन परिस्थितियों में आपकी गिरवी रखी हुई प्रॉपर्टी को अपने कब्जे में ले सकता है।
अगर आप अपने होम लोन की लगातार तीन मासिक किस्तें (EMIs) नहीं भर पाते हैं, तो बैंक आपकी प्रॉपर्टी को जब्त करने की प्रक्रिया शुरू कर सकता है। यह प्रक्रिया ‘SARFAESI Act, 2002’ (वित्तीय आस्तियों का प्रतिभूतिकरण और पुनर्गठन तथा प्रतिभूति हित का प्रवर्तन अधिनियम, 2002) के तहत की जाती है।
जब्ती की पूरी प्रक्रिया को समझिए:
पहला नोटिस (60 दिन): जैसे ही आप लगातार तीन EMI चुकाने में विफल रहते हैं, बैंक आपको एक ‘मांग नोटिस’ भेजता है। इस नोटिस में आपको 60 दिनों के भीतर बकाया राशि चुकाने का समय दिया जाता है।
दूसरा नोटिस (30 दिन): यदि आप 60 दिनों की अवधि में कोई भुगतान नहीं करते हैं या बैंक से संपर्क नहीं करते हैं, तो बैंक आपको एक और नोटिस भेजता है। इस नोटिस में बताया जाता है कि बैंक प्रॉपर्टी को नीलाम करने वाला है और आपको 30 दिनों का और समय दिया जाता है।
प्रॉपर्टी की नीलामी: अगर इस 30 दिन की अवधि में भी आप बकाया राशि का भुगतान नहीं करते हैं, तो बैंक के पास आपकी प्रॉपर्टी को नीलाम करने का अधिकार आ जाता है। बैंक नीलामी से मिली राशि से अपना बकाया वसूल करता है।
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बकाया वसूली के बाद: यदि नीलामी से मिली राशि बैंक के बकाया से ज़्यादा है, तो बची हुई राशि आपको वापस कर दी जाती है।
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बकाया से कम मिलने पर: यदि नीलामी से मिली राशि बैंक के बकाया से कम है, तो बची हुई राशि के लिए आप अभी भी बैंक के प्रति उत्तरदायी होते हैं और बैंक आपसे वह राशि वसूल कर सकता है।
क्या आपके पास है कोई कानूनी विकल्प?
बैंक द्वारा पहला 60 दिन का नोटिस मिलने के 45 दिनों के भीतर आप ‘ऋण वसूली न्यायाधिकरण’ (Debt Recovery Tribunal – DRT), उच्च न्यायालय (High Court) या सर्वोच्च न्यायालय (Supreme Court) में अपील कर सकते हैं।
प्रॉपर्टी जब्त होने से बचने के लिए क्या करें?
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बैंक से करें बात: अगर आपको EMI चुकाने में परेशानी हो रही है, तो तुरंत अपने बैंक से संपर्क करें। बैंक अस्थायी छूट (deferment) या लोन पुनर्गठन (loan restructuring) का विकल्प दे सकता है।
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आंशिक भुगतान: अगर संभव हो, तो कुछ आंशिक भुगतान करने का प्रयास करें। इससे बैंक को लगेगा कि आप अपनी जिम्मेदारी से भाग नहीं रहे हैं।
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खुद प्रॉपर्टी बेचें: अगर स्थिति बहुत खराब हो चुकी है, तो बैंक द्वारा नीलामी से पहले खुद अपनी प्रॉपर्टी बेचने की कोशिश करें। इससे आपको बेहतर कीमत मिल सकती है और बैंक की नीलामी में होने वाले नुकसान से बचा जा सकता है।
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समझदारी से लोन लें: हमेशा अपनी वित्तीय क्षमता के अनुसार ही लोन लें, ताकि भविष्य में ऐसी स्थिति का सामना न करना पड़े।
याद रखें, बैंक का उद्देश्य प्रॉपर्टी जब्त करना नहीं, बल्कि अपना पैसा वसूल करना है। इसलिए, ईमानदारी से अपनी स्थिति बैंक को बताएं और समाधान निकालने का प्रयास करें।
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