जगदलपुर-करण सिंह: विश्व प्रसिद्ध बस्तर दशहरा लोकोत्सव का सांस्कृतिक मंच मंगलवार की शाम लालबाग मैदान में अपनी पूर्ण भव्यता पर था। संगीत, नृत्य और लोकसंस्कृति की अद्भुत संगम से सजे इस मंच ने हजारों दर्शकों को एक साथ झूमने और गर्व महसूस करने पर मजबूर कर दिया।शाम का मुख्य आकर्षण रहे बॉलीवुड के लोकप्रिय गायक पवनदीप राजन और चेतना — जिन्होंने अपनी मधुर आवाज़ और ऊर्जा से ऐसा समां बांधा कि पूरा लालबाग संगीत के सागर में डूब गया। पवनदीप ने एक साथ गायन और वाद्य यंत्रों (गिटार, ड्रम्स) का शानदार प्रदर्शन कर दर्शकों को रोमांचित कर दिया। चेतना की सुमधुर प्रस्तुति ने माहौल में जादू भर दिया।कार्यक्रम की शुरुआत स्कूली और कॉलेज छात्रों की रंगारंग प्रस्तुतियों से हुई। स्वामी विवेकानंद स्कूल के विद्यार्थियों ने सरस्वती मंगलाचारण से शाम की शुरुआत को भक्तिमय बनाया, जिसके बाद बिहू (असम), ओड़िया समूह नृत्य और केरल का वायनाड ट्राइबल डांस जैसे राष्ट्रीय एकता के रंग मंच पर बिखर गए।इसके बाद, बस्तर की परंपरा और लोकजीवन को दर्शाने वाला शानदार प्रदर्शन हुआ। लामकेर के कल्लूराम और साथियों ने अपनी प्रसिद्ध गेड़ी नृत्य की प्रस्तुति से दर्शकों का दिल जीत लिया। बाँस की लंबी गेड़ियों पर थिरकते कलाकारों का लय, संतुलन और जोश देखकर लालबाग मैदान तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा। इस नृत्य ने एक बार फिर सिद्ध किया कि बस्तर दशहरा केवल धार्मिक पर्व नहीं, बल्कि लोक कला और जनजातीय अस्मिता का जीवंत उत्सव है।दरभा के छिंदावाड़ा गांव से आए महादेव और उनके साथियों ने धुरवा नाच की प्रस्तुति से सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया। ढोल-मांदर की थाप पर तालमेल के साथ झूमते कलाकारों ने बस्तर की माटी की आत्मा को मंच पर उतार दिया।इसके बाद कलचा हायर सेकेंडरी स्कूल के विद्यार्थियों ने गौर नृत्य के माध्यम से माड़िया जनजाति की गौरवशाली परंपरा का जीवंत चित्र प्रस्तुत किया। गौर सींग वाली टोपी और पारंपरिक पोशाक में सजे युवा कलाकारों ने शौर्य और उत्साह से भरा प्रदर्शन कर सभी को रोमांचित कर दिया।शाम का एक और भावनात्मक और प्रेरक क्षण रहा ‘सक्षम कलेक्टिव बैंड’ का मंच पर आगमन। दिव्यांग बच्चों से बने इस असाधारण बैंड ने अपने आत्मविश्वास, जोश और संगीत प्रतिभा से यह साबित कर दिया कि हौसले के आगे हर बाधा छोटी होती है।‘सक्षम स्कूल’, दंतेवाड़ा और गिटारवाला संस्था की पहल से तैयार यह बैंड पहले ही अपना म्यूज़िक एल्बम यूट्यूब पर लॉन्च कर चुका है। लालबाग के मंच पर इन बच्चों ने गिटार, कीबोर्ड और गायन में जिस तरह का समन्वय दिखाया, उसने पूरे मैदान को खड़े होकर तालियां बजाने पर मजबूर कर दिया।कार्यक्रम के अंतिम चरण में नृत्यांगना विधि सेनगुप्ता ने ओड़िसी नृत्य की मनमोहक प्रस्तुति दी। उनकी भावपूर्ण मुद्राएँ, सधे हुए पद संचालन और नृत्य की पारंपरिक गरिमा ने दर्शकों को स्तब्ध कर दिया।इस अवसर पर कमिश्नर श्री डोमन सिंह, पुलिस महानिरीक्षक श्री सुन्दरराज पी., कलेक्टर श्री हरिस एस, सहायक कलेक्टर श्री विपिन दुबे, जनप्रतिनिधि और बड़ी संख्या में कला प्रेमी उपस्थित रहे।लालबाग का यह सांस्कृतिक पर्व केवल मनोरंजन का नहीं, बल्कि बस्तर की आत्मा, उसकी परंपरा और उसकी अटूट संस्कृति के उत्सव का प्रतीक बन गया।
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