केंद्र सरकार के लाखों कर्मचारी और पेंशनभोगी 8वें केंद्रीय वेतन आयोग (8th CPC) के गठन का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं। हालांकि, सरकार की ओर से इस पर कोई आधिकारिक घोषणा नहीं की गई है, जिससे कर्मचारियों के बीच अनिश्चितता और बेचैनी का माहौल है।
कर्मचारियों का प्रतिनिधित्व करने वाली संस्था, ‘नेशनल काउंसिल (JCM) की स्टाफ साइड’ ने इस मुद्दे पर चिंता जताते हुए सरकार से जल्द से जल्द 8वें वेतन आयोग का गठन करने की मांग की है।
कर्मचारी क्यों कर रहे हैं मांग?
आमतौर पर, सरकार हर 10 साल में कर्मचारियों के वेतन, भत्ते और पेंशन की समीक्षा के लिए एक नए वेतन आयोग का गठन करती है। 7वें वेतन आयोग की सिफारिशें 2016 में लागू की गई थीं। अब, कर्मचारियों का तर्क है कि पिछले कुछ सालों में बढ़ी महंगाई और जीवन जीने की लागत (Cost of Living) के कारण उनके वेतन का वास्तविक मूल्य (Real Value) काफी कम हो गया है।
नेशनल काउंसिल (JCM) की स्टाफ साइड ने हाल ही में कैबिनेट सचिव को एक ज्ञापन (Memorandum) भी सौंपा है। उनका कहना है कि अगर अभी आयोग का गठन किया जाता है, तो वह अपनी सिफारिशें तैयार करने में लगभग 18 से 24 महीने का समय लेगा, जो 1 जनवरी, 2026 से लागू की जा सकेंगी।
वेतन आयोग का महत्व क्या है?
वेतन आयोग न केवल वेतनमान तय करता है, बल्कि कर्मचारियों के लिए भत्ते (Allowances), पेंशन लाभ और अन्य सुविधाओं की भी समीक्षा करता है। इसकी सिफारिशों का सीधा असर लगभग 49 लाख केंद्रीय कर्मचारियों और 68 लाख पेंशनभोगियों पर पड़ता है।
सरकार की ओर से चुप्पी के कारण यह अटकलें भी लगाई जा रही हैं कि शायद वेतन आयोग की व्यवस्था को बदलकर एक नई प्रणाली (जैसे एक्रोयड फॉर्मूला) लाई जा सकती है। फिलहाल, सभी की निगाहें सरकार के अगले कदम पर टिकी हैं, क्योंकि इस देरी से कर्मचारियों के बीच भविष्य को लेकर चिंता बढ़ती जा रही है।
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