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झारखंड-बिहार में जमीन घोटाले पर ईडी की बड़ी कार्रवाई, 103 एकड़ संरक्षित वन भूमि के फर्जी सौदे की जांच

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झारखंड-बिहार में जमीन घोटाले पर ईडी की बड़ी कार्रवाई, 103 एकड़ संरक्षित वन भूमि के फर्जी सौदे की जांच

प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने मंगलवार को झारखंड और बिहार के विभिन्न जिलों में एक बड़े जमीन घोटाले की जांच के तहत छापेमारी की। यह कार्रवाई मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम अधिनियम (PMLA) के तहत की गई, जिसमें दोनों राज्यों के कुल 16 ठिकानों पर एक साथ रेड डाली गई।

रांची, बोकारो, रामगढ़ समेत कई जिलों में छापेमारी

जिन स्थानों पर छापेमारी हुई उनमें रांची, बोकारो, रामगढ़ जैसे प्रमुख जिले शामिल हैं। खास तौर पर बोकारो के तेतुलिया क्षेत्र में 103 एकड़ संरक्षित वन भूमि के फर्जी दस्तावेजों से सौदे की जांच चल रही है। आरोप है कि इस जमीन की खरीद-फरोख्त में सरकारी नियमों की अनदेखी की गई और फर्जी दस्तावेज पेश कर वन भूमि को अवैध रूप से हड़पा गया।

ईडी की टीम ने रांची स्थित हरिओम टावर में मौजूद राजबीर कंस्ट्रक्शन लिमिटेड के कार्यालय पर भी छापा मारा है।

कंपनियों और व्यक्तियों की भूमिका की हो रही जांच

ईडी इस मामले में कई कंपनियों और निजी व्यक्तियों की भूमिका की गहराई से जांच कर रही है। जांच एजेंसी का मानना है कि इस घोटाले में बड़े स्तर पर मनी लॉन्ड्रिंग हुई हो सकती है। अधिकारियों के अनुसार, इस कार्रवाई के दौरान कुछ बड़े नाम सामने आने की संभावना है, जिससे राजनीतिक और प्रशासनिक हलकों में हलचल तेज हो सकती है।

कब और कैसे शुरू हुआ मामला?

यह मामला सबसे पहले 2024 में बोकारो के सेक्टर-12 थाने में दर्ज किया गया था, जब 103 एकड़ जमीन की संदिग्ध खरीद-फरोख्त का मामला सामने आया। शुरुआती जांच झारखंड पुलिस की CID ने की थी, जिसमें यह साफ हुआ कि जमीन माफिया और बोकारो स्टील लिमिटेड (BSL) के कुछ कर्मियों की मिलीभगत से यह घोटाला हुआ।

जांच में यह भी सामने आया कि BSL ने जमीन को वन विभाग को विधिवत हस्तांतरित नहीं किया, जिससे संरक्षित भूमि को निजी हाथों में बेचने का रास्ता खुला। इसके बाद प्रवर्तन निदेशालय ने इस घोटाले की मनी ट्रेल और धन शोधन की जांच शुरू की।

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