इस्लामिक सहयोग संगठन (OIC) में पाकिस्तान को एक बार फिर शर्मिंदगी का सामना करना पड़ा जब भारत के खिलाफ उसके एक प्रस्ताव को तीन प्रमुख मुस्लिम देशों ने रोक दिया। यह घटना जकार्ता में आयोजित OIC संसदीय संघ की बैठक के दौरान हुई, जहाँ पाकिस्तान ने कश्मीर मुद्दे पर भारत की आलोचना करने का प्रयास किया था।
OIC में पाकिस्तान को फिर मिली मायूसी, भारत के खिलाफ प्रस्ताव हुआ नाकाम, तीन प्रमुख मुस्लिम देशों ने किया विरोधइंडोनेशिया, जो इस बैठक का मेजबान देश था, ने मिस्र और बहरीन के साथ मिलकर पाकिस्तान की इस भारत विरोधी मुहिम का पुरजोर विरोध किया। इन देशों के हस्तक्षेप के कारण पाकिस्तान अपने मंसूबों में कामयाब नहीं हो सका और उसे अपने प्रस्तावित मसौदे की भाषा को नरम करना पड़ा।
रिपोर्टों के अनुसार, पाकिस्तान लंबे समय से OIC जैसे मंचों का इस्तेमाल भारत के खिलाफ प्रोपेगैंडा फैलाने के लिए करता रहा है।[] हालाँकि, इस बार उसे करारा झटका लगा है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि इस्लामिक जगत में भी पाकिस्तान की बातों को अब पहले जैसा समर्थन नहीं मिलता। कई मुस्लिम देश अब भारत के साथ अपने द्विपक्षीय संबंधों, व्यापार और रणनीतिक सहयोग को अधिक महत्व दे रहे हैं।
बैठक के अंतिम दस्तावेज़ में जहाँ फ़िलिस्तीन और गाजा की स्थिति पर कड़े शब्दों का इस्तेमाल किया गया, वहीं भारत के संदर्भ में बेहद नरम भाषा का प्रयोग किया गया। यह भारत के लिए एक महत्वपूर्ण कूटनीतिक जीत मानी जा रही है। विश्लेषकों का मानना है कि यह घटना पाकिस्तान के लिए एक संकेत है कि उसे अपनी भारत विरोधी बयानबाजी पर लगाम लगानी चाहिए और रचनात्मक कूटनीति पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।
पाकिस्तान ने हालांकि अपने घरेलू दर्शकों को खुश करने के लिए जकार्ता बैठक में भारत के खिलाफ सफलता का झूठा प्रचार किया।लेकिन वास्तविकता यह है कि OIC में उसकी चाल नाकाम हो गई है और उसे अंतरराष्ट्रीय मंच पर एक और हार का सामना करना पड़ा है। यह भी उल्लेखनीय है कि हाल के वर्षों में भारत के इंडोनेशिया, मिस्र और बहरीन जैसे देशों के साथ संबंध लगातार मजबूत हुए हैं।
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