भारत अब पाकिस्तान के आतंकवाद को वैश्विक स्तर पर उजागर करने की दिशा में कदम बढ़ा रहा है। 'ऑपरेशन सिंदूर' ने पाकिस्तान द्वारा प्रायोजित आतंकवाद को कमजोर कर दिया है। नरेंद्र मोदी सरकार ने अंतरराष्ट्रीय मंचों पर पाकिस्तान के आतंकवादी चेहरे को बेनकाब करने के लिए एक ठोस योजना बनाई है। इसके तहत, भारत विभिन्न राजनीतिक दलों के सांसदों के प्रतिनिधिमंडल को प्रमुख वैश्विक राजधानियों में भेजने की तैयारी कर रहा है। इस पहल का उद्देश्य पहलगाम हमले और ऑपरेशन सिंदूर से जुड़े तथ्यों को उजागर कर सीमा पार आतंकवाद के खिलाफ भारत के दृष्टिकोण को मजबूती से प्रस्तुत करना है.
पाकिस्तान का अंतरराष्ट्रीयकरण प्रयास
पाकिस्तान लंबे समय से कश्मीर मुद्दे को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उठाने की कोशिश कर रहा है। वह वैश्विक मंचों पर भारत के खिलाफ दुष्प्रचार फैलाने और कश्मीर के बारे में गलत धारणाएं बनाने में लगा हुआ है। इस बीच, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा कश्मीर मुद्दे को अंतरराष्ट्रीय मंचों पर उठाने के प्रयासों ने भारत को अपनी स्थिति स्पष्ट करने के लिए और अधिक सक्रिय होने के लिए प्रेरित किया है। भारत ने हमेशा कश्मीर को अपने आंतरिक मामले के रूप में देखा है और द्विपक्षीय बातचीत की नीति अपनाई है। अब, इस नीति को और मजबूत करने के लिए भारत ने वैश्विक स्तर पर अपनी बात रखने का निर्णय लिया है.
सांसदों का प्रतिनिधिमंडल
सूत्रों के अनुसार, सरकार जल्द ही विभिन्न दलों के सांसदों का एक प्रतिनिधिमंडल तैयार करेगी, जो विभिन्न महाद्वीपों की राजधानियों में जाकर भारतीय दृष्टिकोण को प्रस्तुत करेगा। यह प्रतिनिधिमंडल न केवल कश्मीर में पाकिस्तान द्वारा प्रायोजित आतंकवाद की सच्चाई को उजागर करेगा, बल्कि ऑपरेशन सिंदूर के तहत की गई कार्रवाइयों की जानकारी भी देगा. इस कदम का उद्देश्य कश्मीर के मुद्दे पर पाकिस्तान के दुष्प्रचार को पूरी तरह से बेनकाब करना और वैश्विक समुदाय को भारत की स्थिति से अवगत कराना है.
विदेश मंत्रालय की तैयारी
इस महत्वाकांक्षी कूटनीतिक पहल को सफल बनाने के लिए विदेश मंत्रालय ने तैयारी शुरू कर दी है। मंत्रालय अन्य संबंधित विभागों के साथ मिलकर सांसदों के लिए तथ्यों और तर्कों से युक्त बातचीत के बिंदु तैयार कर रहा है। ये बिंदु पहलगाम हमले की पृष्ठभूमि, ऑपरेशन सिंदूर की सफलता और पाकिस्तान के आतंकी ठिकानों पर भारत की सटीक कार्रवाई पर आधारित होंगे। इसके साथ ही, भारतीय राजनयिक मिशन भी विभिन्न देशों में इस अभियान को समर्थन देंगे। वे स्थानीय सरकारों, थिंक टैंक्स और मीडिया के साथ मिलकर भारत के पक्ष को प्रभावी ढंग से प्रस्तुत करेंगे.
सांसदों की एकता का संदेश
यह पहली बार होगा जब नरेंद्र मोदी सरकार कश्मीर और सीमा पार आतंकवाद के मुद्दे पर विभिन्न दलों के सांसदों को एकजुट कर वैश्विक मंचों पर भारत का पक्ष रखने के लिए नियुक्त करेगी। इस कदम से न केवल भारत की एकता और दृढ़ता का संदेश जाएगा, बल्कि यह भी स्पष्ट होगा कि आतंकवाद के खिलाफ भारत का रुख सभी राजनीतिक दलों के लिए साझा है.
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