इंटरनेट डेस्क। शारदीय नवरात्रि का आज तीसरा दिन हैं और आज मां चंद्रघंटा की पूजा करने का विधान है। चंद्रघंटा का अर्थ है, ‘जिसके सिर पर अर्ध चंद्र घंटे के रूप में शोभित है’ दुर्गा सप्तशती के अनुसार यह चंद्रमा शीतलता और शुभ्र प्रकाश का प्रतीक माना गया है। मान्यता है कि आज के दिन मां चंद्रघंटा की पूजा करने से शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती है और जीवन में सुख-समृद्धि बनी रहती है। तो जानते हैं आज इस बारे में सब कुछ।
मां चंद्रघंटा का भोग
शास्त्रों के अनुसार, मां दुर्गा के तीसरे स्वरूप मां चंद्रघंटा को केसर-दूध से बनी मिठाइयों, शहद या खीर का भोग लगाएं। इससे वह अति प्रसन्न होती है और आशीर्वाद प्रदान करती हैं।
मां चंद्रघंटा का ध्यान मंत्र
पिंडजप्रवरारूढ़ा, चंडकोपास्त्रकैर्युता।
प्रसादं तनुते मह्यं, चंद्रघंटेति विश्रुता।।
वन्दे वांछित लाभाय चन्द्रार्धकृत शेखरम्।
सिंहारूढा चंद्रघंटा यशस्वनीम्॥
मणिपुर स्थितां तृतीय दुर्गा त्रिनेत्राम्।
रंग, गदा, त्रिशूल,चापचर,पदम् कमण्डलु माला वराभीतकराम्॥
जानिए पूजा- विधि
स्नान के बाद पूजा की चौकी पर लाल रंग का वस्त्र बिछा लें। क्योंकि चंद्रघंटा माता को लाल रंग बहुत प्रिय है। इसके बाद चंद्रघंटा माता की तस्वीर या प्रतिमा को स्थापित करें। अगर चंद्रघंटा माता की तस्वीर नहीं है तो दुर्गा मां की तस्वीर रख सकते हैं। इसके बाद मां चंद्रघंटा को सिंदूर, अक्षत गंध, धूप, पुष्प आदि अर्पित करें। आप देवी मां को चमेली का पुष्प अथवा कोई भी लाल फूल अर्पित करें। साथ ही अंत में दुर्गा सप्तशती का पाठ करें और आरती गाएं।
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