महाराष्ट्र के नंदुरबार जिले में स्कूल जाने के लिए बच्चों को कई किलोमीटर जंगलों से पैदल यात्रा करनी पड़ती है। इस दौरान उन्हें जंगली जानवरों जैसे तेंदुआ और भालू के खतरे का सामना करना पड़ता है। ऐसे में स्थानीय शिक्षकों ने बच्चों की सुरक्षा और पढ़ाई दोनों के लिए एक अनोखा उपाय निकाला है, जिसे उन्होंने “पैदल पाठ” नाम दिया।
पैदल पाठ की विशेषता:
इस तरीके में बच्चे समूह में चलकर ऊंची आवाज में पहाड़े, कविताएं और गीत गाते हुए स्कूल आते-जाते हैं। यह न केवल बच्चों को जंगल में सुरक्षित रखता है, बल्कि उनकी पढ़ाई और स्मरण शक्ति को भी बढ़ाता है। शिक्षकों का कहना है कि ऊंची आवाज सुनकर जंगली जानवर बच्चों के पास आने से डरते हैं और उनकी सुरक्षा सुनिश्चित होती है।
सुरक्षा और शिक्षा में सुधार:
“पैदल पाठ” से बच्चों को स्कूल आते-जाते समय मनोवैज्ञानिक और शारीरिक सुरक्षा दोनों मिलती है। साथ ही, समूह में चलने और उच्च आवाज में पाठ करने से उनकी पढ़ाई में भी सुधार देखा जा रहा है। बच्चों में आत्मविश्वास बढ़ा है और समूह में काम करने की भावना भी मजबूत हुई है।
स्थानीय प्रतिक्रिया:
अभिभावक और गांववाले इस पहल से बेहद खुश हैं। उन्होंने कहा कि यह तरीका बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के साथ-साथ उनकी पढ़ाई को मजेदार और प्रभावी बनाता है। शिक्षकों के इस नवाचारी कदम ने नंदुरबार जिले में शिक्षा और सुरक्षा के बीच एक संतुलन स्थापित किया है।
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