आपने सुना होगा कि यूपी पुलिस का जलवा हर जगह चलता है. लेकिन इस बार एक महिला असली पुलिस नहीं बल्कि नकली पुलिस निकली। अब हम आपको ले चलते हैं देवरिया कैंप में, जहां पुलिस ने इस फर्जी पुलिसकर्मी को पकड़ा. यूपी के देवरिया में पुलिस की नजरों से कौन बच सकता है? यहां खामपार एसओ महेंद्र चतुर्वेदी की नजर एक महिला पर पड़ी... जो पुलिस की वर्दी पहनकर बाइक चला रही थी और गांव की ओर जा रही थी. एसओ साहब का शक हुआ और ऐसा लगा मानो आंखों के सामने कोई फिल्म चल रही हो। वर्दी तो पुलिस की थी, लेकिन ऐसा लग रहा था कि यह कहीं से भी पुलिस वाला नहीं है. फिर क्या था? तुरंत महिला से पूछताछ शुरू करें.
अब तो ये पुलिस वाले भी...पूछने लगे...मैडम आप कहां से आ रही हैं? महिला थोड़ा घबराई हुई बोली. लखनऊ पुलिस ने फिर पूछा, अरे वर्दी कहां से मिली? अब सर, जो जवाब आया वो बहुत बढ़िया था. मैडम ने कहा, मैंने इसे दुकान से खरीदा है। जी हां, अब बाजार में वर्दी आलू-प्याज की तरह बिकती है।
महिला को नकली वर्दी पहनने या मुफ्त में ट्रेन चलाने का शौक था। ये तो वही जाने लेकिन गांव पहुंचने से पहले ही उनकी स्क्रिप्ट में इंटरवल हो गया. पुलिस उन्हें पकड़कर थाने ले आई
ये मैडम रजनी दुबे खामपार के निसनिया पकौली की रहने वाली निकलीं, लेकिन फिलहाल लखनऊ में रह रही थीं. वह अपने बच्चों को पढ़ाती थी. और वह छठ महापर्व पर लखनऊ से ट्रेन पकड़कर अपने गांव आई थी, लेकिन सफर में उसे ऐसा महसूस हुआ जैसे कि वह पुलिस बन जाए. हां, ये अलग बात है कि यूपी पुलिस को ये ड्रेस बिल्कुल पसंद नहीं आई।
हमने सख्ती से पूछताछ की तो महिला घबरा गई। उसने स्वीकार किया कि वह एक नकली पुलिसकर्मी है। वर्दी बाजार से खरीदी जाती है। मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी गई है. अब आप सोच रहे होंगे. क्या धूम-4 या स्पेशल 26 के सीक्वल का कोई सीन था... लेकिन नहीं, ये था असली छठ स्पेशल ड्रामा. अब पुलिस ने मैडमजी के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया है और जांच जारी है. और आखिरकार रजनी दुबे को जमानत पर रिहा कर दिया गया. यानी अब नकली पुलिस वाले का किरदार खत्म...वो घर चली गई, लेकिन इस बार छठ पर्व थाने में जाकर मनाया गया.
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