बिहार में 2025 में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले एनडीए गठबंधन में सीट बंटवारे को लेकर हलचल मची हुई है। भाजपा और जदयू के नेतृत्व वाले इस गठबंधन में लंबी बातचीत के बाद सीटों का फॉर्मूला लगभग तय हो गया है। माना जा रहा है कि सितंबर के आखिरी या अक्टूबर के पहले हफ्ते में चुनाव की घोषणा हो सकती है। इसके बाद सभी दल अपनी सीटों का ऐलान करेंगे। हालांकि, सीट बंटवारे पर आखिरी मुहर एनडीए के बड़े नेता ही लगाएंगे। एक और बैठक होने की संभावना है, जिसके बाद सीटों का औपचारिक ऐलान हो जाएगा।
चिराग पासवान की सीटों पर खींचतान?
सूत्रों के मुताबिक, इस बार सीटों का बंटवारा पिछले विधानसभा चुनाव की तर्ज पर ही होगा। लेकिन लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के नेता चिराग पासवान भी इस बार एनडीए के साथ हैं। पिछले लोकसभा चुनाव में चिराग पासवान की पार्टी का स्ट्राइक रेट 100 फीसदी रहा था। इसी प्रदर्शन के आधार पर चिराग पासवान बिहार में 40 से ज़्यादा सीटों की मांग कर रहे हैं। चिराग पासवान की ज़्यादा सीटों की माँग उनकी राजनीतिक मजबूरी भी है, क्योंकि उन्हें अपने कार्यकर्ताओं का मनोबल बनाए रखना है। हालाँकि, चिराग को कम सीटों पर समझौता करना पड़ सकता है। सूत्रों के मुताबिक, बीजेपी चिराग पासवान को नाराज़ नहीं करना चाहती। ऐसे में एनडीए में चिराग पासवान की पार्टी को 20 से 25 सीटें मिल सकती हैं। बता दें, नीतीश कुमार और चिराग पासवान के रिश्ते पहले भी तल्ख़ रहे हैं।
एनडीए में सीट बंटवारे का फ़ॉर्मूला क्या है?
सूत्रों के मुताबिक, बीजेपी और नीतीश कुमार की जेडीयू के बीच सीटों का बंटवारा लगभग तय हो गया है। दोनों पार्टियाँ 100 से ज़्यादा सीटों पर चुनाव लड़ेंगी। सूत्रों का कहना है कि जेडीयू का आँकड़ा बीजेपी से थोड़ा ज़्यादा होगा, ताकि यह संदेश दिया जा सके कि जेडीयू बिहार में एक बड़ी पार्टी है। वहीं, बाकी सीटें जीतन राम मांझी और उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी को भी दी जाएँगी। इस हिसाब से देखें तो एनडीए में जेडीयू को 105 सीटें मिल सकती हैं, वहीं बीजेपी को 104 सीटें मिल सकती हैं। बाकी 34 सीटों में से चिराग को 20, मांझी और कुशवाहा को 7-7 सीटें मिल सकती हैं। यह भी माना जा रहा है कि अगर चिराग 20 सीटों पर सहमत नहीं होते हैं, तो भाजपा उन्हें अपने कोटे से एक या दो सीटें दे सकती है।
सबकी निगाहें चिराग पर
सीटों के बंटवारे का मुद्दा चिराग पासवान के लिए अहम है। उनके समर्थकों की नज़र इस बात पर है कि उन्हें कितनी सीटें मिलती हैं और क्या वह भाजपा-जदयू के प्रस्ताव को स्वीकार करते हैं। चुनाव की घोषणा होते ही सीटों की तस्वीर साफ हो जाएगी। बिहार की जनता एक बार फिर अपना नेता चुनने के लिए तैयार है।
You may also like
आनंदमयी मां : करुणा और भक्ति की साक्षात मूर्ति, समाज में आध्यात्मिकता की जगाई ज्योति
दिल्ली में नेक्स्ट जनरेशन जीएसटी रिफॉर्म्स पर व्यापारी सम्मेलन का सफल आयोजन
गोवा में फिडे विश्व कप 2025, पीएम मोदी बोले- भारत को मेजबानी पर बेहद खुशी है
इटावा: आनंद बिहार से दरभंगा जाने वाली अमृत भारत ट्रेन में आग की सूचना से हड़कंप
बिहार में बनेगी भगवाधारी सरकार, सनातन और हिंदुत्व अटल: टी राजा सिंह