मध्यप्रदेश के सतना जिले में स्थित देवगुना मंदिर समूह न सिर्फ धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि यह स्थल प्राचीन भारतीय स्थापत्य कला और मूर्तिकला की बेमिसाल मिसाल भी पेश करता है। सतना, जिसे "विंध्य का द्वार" कहा जाता है, सीमेंट उद्योग और खनिज संपदा के लिए प्रसिद्ध है, लेकिन इसकी ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहरें भी कम रोचक नहीं हैं। इन्हीं धरोहरों में एक है देवगुना मंदिर समूह, जिसकी निर्माण कला और मूर्तियों की भव्यता आज भी शोधकर्ताओं और पर्यटकों को आकर्षित करती है।
1100 वर्षों पुराना मंदिर समूहदेवगुना मंदिर समूह लगभग 1100 वर्ष पुराना माना जाता है। यह मंदिर तीन संरचनाओं का समूह है, जो एक ही चबूतरे पर निर्मित हैं। इसीलिए इसे देवगुना मंदिर समूह कहा जाता है। मुख्य मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित है, जबकि एक अन्य मंदिर में शिवलिंग और तीसरे मंदिर में भगवान गणेश की प्रतिमा स्थापित है।
मुख्य मंदिर में स्थित भगवान विष्णु की चतुर्भुज प्रतिमा अलौकिक सौंदर्य का प्रतीक है। प्रतिमा के बाएं हाथों में शंख और चक्र धारण हैं, जबकि दाएं हाथ का एक हिस्सा खंडित है। मूर्ति पर मुकुट, कुंडल, मेखला, वैजयंती माला सहित प्राचीन आभूषणों की बारीकी से की गई कलाकारी इस मंदिर के इतिहास को गौरवशाली बनाती है।
वास्तुकला जो कर दे हैरानमंदिर का शिखर आमलक से युक्त है और गवाक्ष में कीर्तिमुख की कलात्मक आकृति उकेरी गई है। मंदिर के चारों ओर उत्कृष्ट वास्तुकला का समावेश है, जिससे यह प्रतीत होता है कि उस काल में न सिर्फ धार्मिक आस्था प्रबल थी, बल्कि स्थापत्य और शिल्पकला में भी उत्कृष्टता हासिल की गई थी। मंदिर का निर्माण काले पत्थरों से किया गया है, जो आज भी मौसम की मार झेलते हुए अपनी मजबूती से खड़े हैं।
संरक्षण की आवश्यकतादेवगुना मंदिर समूह वर्तमान में मध्यप्रदेश शासन के पुरातत्व अभिलेखागार एवं संग्रहालय भोपाल के संरक्षण में है। हालांकि स्थानीय लोगों की मानें तो अब भी इस धरोहर को वह पहचान नहीं मिल पाई है जिसकी यह हकदार है। ग्रामीणों की मांग है कि इसे पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया जाए जिससे न केवल मंदिर की पहचान बढ़ेगी बल्कि क्षेत्रीय विकास को भी गति मिलेगी।
निष्कर्षदेवगुना मंदिर समूह केवल एक धार्मिक स्थल नहीं है, बल्कि यह हमारे अतीत, हमारी संस्कृति और हमारी कला का साक्षात जीवंत उदाहरण है। इसे संरक्षित करना और उसकी महत्ता को जन-जन तक पहुंचाना हम सबकी सांस्कृतिक जिम्मेदारी है। सतना के इस ऐतिहासिक खजाने को आज जरूरत है — सरंक्षण की, प्रचार की और गौरव के पुनः प्रतिष्ठापन की।
You may also like
Bihar Police SI Recruitment 2025: आज से शुरू हुए आवेदन, इस तरह करें अप्लाई, हाथ से ना जानें दें मौका
इंस्टाग्राम पर एक प्रमोशनल पोस्ट के लिए इतने करोड़ रुपए का शुल्क वसूलते हैं Virat Kohli , जानकर उड़ जाएगी नींद
जब आरसीबी की स्थिति खराब थी, सभी ने उसके लिए योगदान दिया: वरुण आरोन
अदाणी पोर्ट्स ने 15 वर्ष के नॉन-कन्वर्टिबल डिबेंचर्स से जुटाए 5,000 करोड़ रुपए
Google Android 16 Beta : Pixel Theme के साथ जल्द होगा लॉन्च ,जानिए यूज़र्स को क्या मिलेगा नया