नई दिल्ली, 28 जुलाई (Udaipur Kiran) । देश में फैटी लिवर के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं जिससे लिवर में सूजन, सिरोसिस और कैंसर होने का खतरा भी बढ़ रहा है। हालांकि, हेपेटाइटिस वायरस के संक्रमण भी लिवर रोग की एक वजह बनकर उभर रहे हैं। सोमवार को अखिल भारतीय आर्य़ुविज्ञान संस्थान(एम्स) के गैस्ट्रोएंट्रोलॉजी विभाग के अध्यक्ष प्रोफेसर प्रमोद कुमार गर्ग ने विश्व हेपेटाइटिस दिवस के अवसर पर बताया कि डायबिटीज, हाइपरटेंशन, मेटाबोलिज्म सिंड्रोम, वायरल हेपेटाइटिस से पीड़ित लोग फैटी लिवर की समस्या से प्रभावित हो रहे हैं। इसके अलावा शराब, दवाइयां और मोटापा भी फैटी लिवर के लिए जिम्मेदार है। 40 प्रतिशत मामलों के पीछे मोटापा प्रमुख वजह है।
एम्स में आयोजित प्रेसवार्ता में डॉ. प्रमोद कुमार गर्ग ने कहा, फैटी लिवर डिजीज जिसे स्टीटोसिस भी कहा जाता है, एक ऐसी स्थिति है जिसमें लिवर में बहुत अधिक वसा जमा हो जाती है और लिवर सूज जाता है। यह समस्या गैर-अल्कोहलिक फैटी लिवर डिजीज (एनएएफएलडी) और अल्कोहलिक फैटी लिवर डिजीज (एएफएलडी) के कारण उत्पन्न होती है।
इस मौके पर डॉ. शालीमार ने कहा, करीब 15 साल पहले लोगों को फैटी लिवर की समस्या बहुत कम होती थी। ये तमाम अन्य रोगों की सूची में सबसे निचले पायदान पर होती थी। लेकिन अब काफी बढ़ गई है जिसके चलते प्रत्येक 3 में से 1 व्यक्ति फैटी लिवर की समस्या से पीड़ित है। जो आगे चलकर लिवर सिरोसिस व अन्य बीमारियों के अलावा लिवर कैंसर तक के शिकार हो जाते हैं। यही नहीं, फैटी लिवर की समस्या युवाओं और बच्चों को भी बड़ी संख्या में प्रभावित कर रही है।
डॉ. शालीमार ने कहा, लिवर को वसा के साथ पांच तरह के वायरस (हेपेटाइटिस ए,बी,सी,डी,ई) और शराब के अत्यधिक सेवन संबंधी आदतें भी प्रभावित करती हैं। यदि मरीज का समय पर परीक्षण, उपचार और टीकाकरण हो जाए तो वह हेपेटाइटिस समेत अन्य रोगों को मात दे सकता है। यानि उचित और त्वरित उपचार के जरिये 2030 तक हेपेटाइटिस को समाप्त करने का राष्ट्रीय लक्ष्य हासिल किया जा सकता है।
डॉ. शालीमार ने कहा, फैटी लिवर की वजह अनहेल्दी लाइफ जीना और एक्सरसाइज ना करना है। साथ ही भोजन में तेल, चीनी और कैलोरी ज्यादा मात्रा में लेना मगर उसे बर्न ना करना भी एक बड़ी समस्या है। इससे शरीर में चर्बी जमा होने लगती है और नतीजा मोटापे के रूप में सामने आता है। इससे मांसपेशियां कमजोर हो जाती हैं और मेटाबोलिज्म खराब हो जाता है। मोटापे से हार्ट अटैक, डायबिटीज और हड्डियों में कमजोरी जैसे रोग भी पैदा होते हैं। इसलिए हेल्दी लाइफ, हेल्दी डाइट और हेल्दी स्लीप का फार्मूला अपनाएं।
डॉ. दीपक गुंजन ने कहा, आपके भोजन की थाली तभी हेल्दी डाइट मानी जाएगी जब उसमें 50-60 प्रतिशत कार्बोहाइड्रेट, 20-30 प्रतिशत प्रोटीन और 10-20 प्रतिशत फैट का कॉम्बिनेशन होगा। यानि अपने खाने की प्लेट के आधे हिस्से में हरी सब्जियां और फल, बाकी हिस्से में रोटी, दाल, चावल, सोयाबीन आदि आदि रखें। खाने के तेल के रूप में सनफ्लावर आयल और सोयाबीन आयल का प्रयोग करें। इससे वसा नियंत्रित रहेगी, लिवर स्वस्थ रहेगा और मोटापा भी नहीं बढ़ेगा।
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(Udaipur Kiran) / विजयालक्ष्मी
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