बांदा, 24 अप्रैल . महिला सशक्तिकरण की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम उठाते हुए राष्ट्रीय महिला आयोग भारत सरकार द्वारा एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन चित्रकूट संभाग के चारों जनपदों — चित्रकूट, बांदा, महोबा एवं हमीरपुर — की महिला जन प्रतिनिधियों के साथ किया गया. इस अवसर पर मंडल कारागार बांदा का आकस्मिक निरीक्षण कर महिला बंदियों की स्थिति का भी जायजा लिया गया.
कार्यशाला में लगभग 330 महिला प्रतिनिधियों ने भाग लिया, जिनमें पंचायती राज संस्थाओं एवं शहरी स्थानीय निकायों की निर्वाचित महिलाएँ प्रमुख रूप से शामिल रहीं. कार्यक्रम का शुभारंभ राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष विजया रहाटकर, राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष डॉ. बबीता चौहान, सदस्य डॉ. प्रियंका मौर्या, नीरजा गुप्ता (उपनिदेशक, दी.द.उ.रा.ग्रा.वि. संस्थान, लखनऊ), रामअवतार सिंह पीपीएस, ज्योति मिश्रा, डा. सर्वेश कुमार पाण्डेय (परियोजना समन्वयक, राष्ट्रीय महिला आयोग) द्वारा दीप प्रज्वलन कर किया गया. कार्यक्रम की शुरुआत सरस्वती वंदना द्वारा की गई, जिसे सिद्वी पाण्डेय ने प्रस्तुत किया.
मुख्य अतिथि रहाटकर ने अपने संबोधन में कहा, “शक्ति परिवर्तन की वाहक होती है. जो महिला निडरता से निर्णय लेती है और समाज की जड़ता को तोड़कर नई दिशा में कदम बढ़ाती है, वही असली परिवर्तन की प्रतीक है.” उन्होंने बुंदेलखंड की महिलाओं को विशेष सौगात देते हुए घोषणा की कि प्रत्येक जनपद से पाँच उत्कृष्ट कार्य करने वाली महिला जन प्रतिनिधियों को राष्ट्रीय महिला आयोग द्वारा ब्रांड एम्बेसडर के रूप में सम्मानित किया जाएगा.
राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष डॉ. बबीता चौहान और उपनिदेशक नीरजा गुप्ता ने संयुक्त रूप से कार्यशाला की उपयोगिता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि यह पहल महिला जनप्रतिनिधियों की भूमिका को और अधिक प्रभावी बनाएगी. तकनीकी सत्रों में मोबाइल उपयोग, प्रभावी संवाद और केंद्र एवं राज्य सरकार की योजनाओं की जानकारी दी गई.
कार्यक्रम का संचालन अखिलेश पाण्डेय ( आईएफसी एक्सपर्ट, अटल भूजल योजना) द्वारा किया गया, जबकि धन्यवाद ज्ञापन वेद प्रकाश सिंह, आचार्य, क्षेत्रीय ग्राम्य विकास संस्थान मिर्जापुर ने किया.
इसी दिन सुबह 9:30 बजे राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष विजया रहाटकर और राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष डॉ. बबीता चौहान ने मंडल कारागार, बांदा का आकस्मिक निरीक्षण भी किया. उन्होंने महिला बैरकों का दौरा कर वहाँ रह रहीं बंदी महिलाओं से संवाद किया और उनकी स्वास्थ्य, सुरक्षा, भोजन, विधिक सहायता और अन्य मूलभूत आवश्यकताओं की जानकारी ली.
निरीक्षण के दौरान अधिकारियों को निर्देश दिए गए कि महिला बंदियों को न्यायोचित सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएँ और किसी भी प्रकार की लापरवाही पर कठोर कार्रवाई सुनिश्चित की जाए.
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/ अनिल सिंह
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