सुलतानपुर, 6 अक्टूबर (Udaipur Kiran News) . Uttar Pradesh के सुलतानपुर मे नवरात्रि की शुरुआत पर देश में आर्थिक राहत की लहर दौड़ी , क्योंकि 22 सितंबर 2025 से लागू हुआ ,”नेक्स्ट-जेनरेशन जीएसटी” (जीएसटी 2.0) हर परिवार की जेब को मजबूत करेगा. यह सुधार महँगाई पर लगाम कसेगा, बाज़ार को रफ्तार देगा और भारत की विकास गति को नई ऊँचाई पर ले जाएगा. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्र को संबोधित करते हुए इसे “बचत उत्सव” करार दिया, लेकिन असली कहानी जीएसटी की सरलीकृत संरचना में छिपी है, जो अर्थव्यवस्था की जटिलताओं को काटकर सीधा राहत पहुँचाएगी.उक्त उद्गार Indian जनता पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता मनीष शुक्ला ने व्यक्त किया.
लम्भुआ विधानसभा में Monday को देश के यशस्वी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को जीएसटी सुधारों को लागू करने के लिये धन्यवाद देने के लिए भाजपा पार्टी द्वारा सम्मेलन का आयोजन किया गया . शुक्ला ने कहा कि जीएसटी 2.0 की सबसे तीखी धार है इसकी दर-संरचना: अब अधिकतर वस्तुएँ सिर्फ दो मुख्य स्लैब्स—5% और 18%—में फिट होंगी. विलासिता की चीज़ें और ‘सिन’ कैटेगरी (जैसे तंबाकू, शराब) पर ऊँची दरें अलग से लागू रहेंगी, ताकि आम आदमी की रोज़मर्रा की ज़रूरतें सस्ती हों और सेहत के लिेए हानिकारक आदतों पर कर का चाबुक चले. यह बदलाव नवरात्रि के पहले दिन से प्रभावी हो गई —एक ऐसा प्रतीक जो उत्सव की ऊर्जा को आर्थिक बचत से जोड़ता है. पुरानी जटिल दरों की जगह यह सरल सिस्टम आया , जो कर चोरी को मुश्किल बनाएगा और अनुपालन को आसान.
सरकार ने इस बार घोषणाओं से आगे जाकर तकनीकी बारीकियों को भी सुलझाया है. मसलन, नई दरें किस तारीख से लागू मानी जाएँगी? पुराने स्टॉक पर क्या नियम होंगे? इनवॉइसिंग और इनपुट टैक्स क्रेडिट का समायोजन कैसे होगा? इन सवालों के स्पष्ट जवाब दिए गए हैं, जिससे छोटे-मझोले कारोबारियों को अनिश्चितता का डर नहीं सताएगा. यह पारदर्शिता निवेशकों को आकर्षित करेगी, क्योंकि अब टैक्स सिस्टम में कम विवाद और तेज़ रिफंड होंगे—यानी बिज़नेस का कैश फ्लो सुधरेगा और अर्थव्यवस्था का इंजन बिना रुकावट दौड़ेगा.
शुक्ला ने बताया कि जनता को राहत कैसे मिलेगी? सीधा असर जेब पर दिखेगा. अनाज, दाल, मसाले और पैकेज्ड फूड पर घटा जीएसटी मासिक किराने के बिल को 10-15% तक काट सकता है. स्वास्थ्य
बीमा, दवाइयों और कैंसर के उपचार सहित महत्वपूर्ण स्वास्थ्य वस्तुओं पर कर समाप्त कर दिया इसकेे साथ ही, मोदी सरकार ने मेडिकल ऑक्सीजन और चश्मे पर कर को घटाकर 5% कर दिया है,और दैनिक उपयोग की वस्तुएँ सस्ती होंगी, बच्चों की स्टेशनरी, किताबें और शैक्षणिक सामग्री पर कम कर से शिक्षा का खर्च घटेगा. किसानों के लिए सिंचाई पंप, ट्रैक्टर पार्ट्स और कृषि उपकरण कम दामों पर मिलेंगे, जिससे फसल की लागत गिरेगी और उत्पादकता बढ़ेगी. निर्माण सामग्री पर कर कटौती से घर बनाना या मरम्मत कराना सस्ता पड़ेगा—कुल मिलाकर, हर महीने अतिरिक्त एक अच्छी बचत हर परिवार की जेब में आएगी.
यह सुधार सिर्फ उपभोक्ताओं तक सीमित नहीं; एमएसएमई सेक्टर—जो भारत के 6 करोड़ से ज्यादा रोज़गार देता है—को सबसे बड़ा फायदा मिलेगा. कम दरें और सरल नियम से कागज़ी झंझट घटेगा, कामकाजी पूँजी फ्री होगी और उत्पादन बढ़ेगा. त्योहारों के सीज़न में यह बचत खपत को रॉकेट की रफ्तार देगी, लेकिन असली कमाल लॉन्ग-टर्म में होगा: माँग बढ़ने से फैक्ट्रियाँ चालू होंगी, नौकरियाँ बनेंगी और ‘मेक इन इंडिया’ को बूस्ट मिलेगा. राज्यों को भी अधिक राजस्व मिलेगा, क्योंकि सरल सिस्टम से कर संग्रह बढ़ेगा और विकास की दौड़ में वे मजबूत होंगे.
मनीष शुक्ला ने कहा कि जीएसटी 2.0 वैश्विक निवेशकों के लिए भारत को और आकर्षक बनाता है. एक स्थिर, पारदर्शी टैक्स रिजीम जो बड़े बाज़ार की गारंटी देता है. हालिया आयकर रियायतों के साथ मिलकर यह सुधार समाज-व्यापी क्रय-शक्ति में उछाल लाएगा, जो उत्पादन, इनोवेशन और निर्यात को तेज़ करेगा. प्रधानमंत्री ने “स्वदेशी” अपील की, लेकिन जीएसटी का असली जादू है आत्मनिर्भरता को व्यावहारिक बनाना: सस्ते दामों में अच्छे उत्पाद, स्थानीय उद्योगों को प्रोत्साहन और अर्थव्यवस्था की मजबूत नींव.
यह “बचत उत्सव” कैलेंडर की तारीख नहीं, बल्कि टैक्स सिस्टम की नई क्रांति है—धारदार, प्रभावी और विकास-केंद्रित. जीएसटी 2.0 के साथ, नवरात्रि और दीपावली की ख़ुशी अब रसोई से लेकर बैलेंस शीट और जीडीपी ग्रोथ तक फैलेगी, जहाँ आस्था और अर्थव्यवस्था एक साथ जीतती हैं.
(Udaipur Kiran) / दयाशंकर गुप्त
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