देहरादून, 28 अप्रैल . उत्तराखंड विद्वत्सभा की ओर से सोमवार को पंचायती मंदिर, दर्शन लाल चौक में परशुराम जयंती की पूर्व संध्या पर विशेष समूल आतंक नाशक महायज्ञ एवं श्रद्धांजलि सभा का भव्य आयोजन किया गया. कार्यक्रम का उद्देश्य आगामी चारधाम यात्रा को सफल, सुरक्षित और निर्विघ्न बनाना रहा.
समूल आतंक नाशक महायज्ञ के मौके पर मंत्रोच्चारण में रुद्राष्टाध्यायी, दुर्गासप्तशती, नारायण कवचम्, श्रीराम रक्षा स्तोत्र एवं महामृत्युंजय मंत्र का सामूहिक जाप किया गया. वातावरण को शुद्ध व ऊर्जावान बनाने के लिए ताम्र कलश में गंगाजल स्थापना, शंखध्वनि एवं घंटाध्वनि का भी आयोजन हुआ.
इस मौके पर सभा ने सर्वसम्मति से निर्णय लिया कि चारधाम सहित सभी तीर्थ स्थलों पर तीर्थयात्रियों को पंजीकरण करते समय एक शास्त्रसम्मत नियमावली प्रदान की जाएगी, ताकि तीर्थों की महिमा, श्रद्धा और गरिमा बनी रहे और उत्तराखंड को आध्यात्मिक व आर्थिक लाभ प्राप्त हो. इस नियमावली के निर्माण का कार्य धर्माधिकारी आचार्य जगदम्बा प्रसाद सती और संरक्षक मंडल के मार्गदर्शन में शीघ्र आरंभ किया जाएगा. इस मौके पर पहलगाम में आतंकी हमले में वीरगति को प्राप्त हिन्दू श्रद्धालुओं को सामूहिक श्रद्धांजलि अर्पित की गई.
इस मौके पर सभा के संरक्षक और बतौर मुख्य अतिथि डॉ.रमेश चंद्र पांडेय ने कहा कि भगवान परशुराम जन्मोत्सव को प्रेरणास्रोत बनाना है. उन्होंने कहा कि आगामी चारधाम यात्रा का निर्विघ्न और सुरक्षित संचालन के लिए उत्तराखंड विद्वत्सभा ने विशेष समूल आतंक नाशक महायज्ञ का आयोजन किया गया. श्रद्धालुओं की यात्रा सुखद, सुरक्षित और आध्यात्मिक हो इसको लेकर कामना की गई.
अध्यक्ष आचार्य विजेंद्र प्रसाद ममगांई ने सभी उपस्थित विद्वानजनों और आयोजन समिति के सदस्यों का धन्यवाद करते हुए आभार व्यक्त किया. उन्होंने कहा कि यह आयोजन न केवल उत्तराखंड बल्कि सम्पूर्ण भारत के आध्यात्मिक उत्थान की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है.
इस मौके पर अध्यक्ष आचार्य विजेंद्र प्रसाद ममगांई, पूर्व धर्माधिकारी आचार्य जगदम्बा प्रसाद सती, प्राचार्य देवी प्रसाद ममगांई, डॉ. शम्भू प्रसाद पाण्डेय, डॉ. राम भूषण बिजल्वाण, डॉ. राम लखन गैरोला, पूर्व अध्यक्ष पंडित उदय शंकर भट्ट विशेष रुप से उपस्थित थे. इसके अलावा महायज्ञ में आचार्य जमुना प्रसाद पैन्यूली, राकेश रतूड़ी, सुनील शर्मा, शशिबल्लभ पंत, आचार्य विकास भट्ट, विकास नौडियाल, रबिंद्र डंगवाल, भुवनेश्वर थपलियाल, आचार्य राधाकृष्ण मैठाणी, लक्ष्मी प्रसाद पाण्डेय शामिल हुए.
/ राजेश कुमार
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