भागलपुर, 17 अगस्त (Udaipur Kiran) । जिले में इन दिनों श्रद्धा और आस्था का सबसे बड़ा लोकपर्व विषहरी पूजा धूमधाम से मनाया जा रहा है।
रविवार को शहर के विभिन्न मंदिरों में श्रद्धालुओं ने विषहरी मां को डलिया चढ़ाया। डलिया चढ़ाने के लिए मंदिरों में सुबह से श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी। इसे विषहरी पूजा या बिहुला-विषहरी पूजा भी कहा जाता है।
यह पर्व नागों की देवी मां मनसा को समर्पित है। जिन्हें लोक परंपरा में सांपों की देवी माना जाता है। अंग प्रदेश की लोककथा बिहुला-बाला से जुड़ी यह पूजा न सिर्फ धार्मिक महत्व रखती है, बल्कि भागलपुर की सांस्कृतिक विरासत का प्रतीक भी है।
मान्यता है कि देवी मनसा की पूजा करने से परिवार में सुख-शांति बनी रहती है और विशेषकर सर्पदंश से रक्षा होती है। इस पूजा के अवसर पर लोकगीत, पारंपरिक नृत्य और भव्य मेले का आयोजन होता है, जिसमें बड़ी संख्या में श्रद्धालु और कलाकार शामिल होते हैं। बिहुला की अमर कहानी को इस पर्व में विशेष रूप से याद किया जाता है। जिसने अपने पति बाला लखिंदर को जीवनदान दिलाने के लिए देवी मनसा से संघर्ष किया था।
यह कथा नारी सशक्तिकरण और दृढ़ संकल्प का भी प्रतीक मानी जाती है। स्थानीय लोग और सांस्कृतिक संगठन अब सरकार से इस महापर्व को राजकीय मेला घोषित करने की मांग कर रहे हैं, ताकि इसकी परंपरा और भी भव्य रूप में संजोई जा सके और आने वाली पीढ़ियों तक संरक्षित रहे भागलपुर की पहचान बन चुकी विषहरी पूजा, आस्था, लोकगीत और संस्कृति का संगम है।
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(Udaipur Kiran) / बिजय शंकर
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