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(लीड) पाकिस्तान के हार मानने पर रोका गया था ऑपरेशन 'सिंदूर', किसी दबाव में नहीं : राजनाथ

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– अगर भविष्य में कोई भी आतंकी हरकत हुई तो यह ऑपरेशन दोबारा शुरू किया जाएगा

नई दिल्ली, 28 जुलाई (Udaipur Kiran) । रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सोमवार को लोकसभा में ऑपरेशन ‘सिंदूर’ पर चर्चा की शुरुआत में ही साफ कर दिया कि यह ऑपरेशन पाकिस्तान के हार मानने के बाद उसकी पेशकश करने पर रोका गया था, किसी के दबाव में नहीं। भारतीय वायु सेना के जबरदस्त हमलों, नियंत्रण रेखा पर थल सेना की मजबूत जवाबी कार्रवाई और नौसेना के हमलों के डर ने पाकिस्तान को झुकने पर मजबूर कर दिया। ऑपरेशन रोकने के साथ ही पाकिस्तान को चेतावनी भी दी गई थी कि अगर भविष्य में कोई भी आतंकी हरकत हुई तो यह ऑपरेशन दोबारा शुरू किया जाएगा।

लोकसभा में रक्षा मंत्री ने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर तीनों सेनाओं की कार्रवाई का शानदार उदाहरण बना। भारतीय वायु सेना ने आसमान से हमले किए, तो हमारी थल सेना ने जमीन पर मोर्चा संभाले रखा। पाकिस्तान की यह हार कोई सामान्य विफलता नहीं थी, बल्कि यह उसके सैन्य बल और सैनिक बलों की हार थी। 6 और 7 मई को भारतीय सेना ने एक ऐतिहासिक सैन्य कार्रवाई को अंजाम दिया। वह केवल एक सैन्य कार्रवाई नहीं थी, बल्कि यह भारत की संप्रभुता, उसकी अस्मिता, देश के नागरिकों के प्रति हमारी जिम्मेदारी और हिंसा के खिलाफ हमारी नीति का एक प्रभावी और निर्णायक प्रदर्शन था।

उन्होंने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर को अंजाम देने से पहले हमारी सेना ने सभी सिद्धांतों का गहराई से अध्ययन किया। हमारे पास कई विकल्प थे, लेकिन हमने उस विकल्प को चुना जिसमें, आतंकवादियों और उनके ठिकानों को अधिकतम नुकसान पहुंचे और जिसमें पाकिस्तान के आम नागरिकों को कोई क्षति न हो। इसके बाद हमारी सेना ने 9 आतंकवादी बुनियादी ढांचों को लक्ष्य बनाकर सटीक प्रहार किया। इस सैन्य कार्रवाई में करीब सौ से अधिक आतंकवादी, उनके प्रशिक्षक, हैंडलर और सहयोगी हैं। इनमें से अधिकांश जैश-ए-मोहम्मद, लश्कर-ए-तैयबा और हिजबुल मुजाहिदीन जैसे आतंकी संगठनों से संबंधित थे। ये वही आतंकी संगठन हैं, जिन्हें पाकिस्तान की सेना और आईएसआई का खुला समर्थन प्राप्त है।

लोकसभा में रक्षा मंत्री ने कहा कि हमारी कार्रवाई पूरी तरह से आत्मरक्षा में थी, यह न तो उत्तेजक (प्रोवोकेटिव) थी और न ही विस्तारवादी थी। फिर भी 10 मई को रात करीब 1 बजे 30 मिनट तक पाकिस्तान ने बड़े पैमाने पर भारत के ऊपर मिसाइल, रॉकेट और अन्य लंबी दूरी के हथियारों का इस्तेमाल किया। इसके साथ-साथ उन्होंने इलेक्ट्रॉनिक युद्ध से जुड़ी प्रौद्योगिकियों का भी सहारा लिया। इसके बावजूद पाकिस्तान हमारे किसी भी लक्ष्य को प्रभावित नहीं कर पाया और हमारी किसी भी महत्वपूर्ण संपत्ति को नुकसान नहीं हुआ। पाकिस्तान के हर हमले के जवाब में हमारी कार्रवाई ज्यादा साहसिक, ठोस और प्रभावी रही। भारतीय वायु सेना ने वेस्टर्न फ्रंट पर पाकिस्तान के हवाई अड्डों, कमान और नियंत्रण केंद्र, सैन्य अवसंरचना और वायु रक्षा प्रणालियों को निशाना बनाया और इस मिशन को हमारी सेनाओं ने सफलतापूर्वक अंजाम दिया।

राजनाथ सिंह ने कहा कि हर हमले नाकाम होने के बाद पाकिस्तान ने हार मानते हुए 10 मई को डीजीएमओ ने भारत के डीजीएमओ से संपर्क किया और सैन्य कार्रवाई रोकने की अपील की। इसके बाद 12 मई को दोनों देशों के डीजीएमओ के बीच संवाद हुआ और दोनों स्टार्स ने सैन्य कार्रवाइयों पर विराम लगाने का निर्णय लिया। इसलिए यह कहा जाना या दावा किया जाना पूरी तरह बेबुनियाद और सरासर गलत है कि ऑपरेशन किसी दबाव में रोका गया। ऑपरेशन सिंदूर शुरू करने का मकसद था, उन आतंकी नर्सरी को खत्म करना था, जिन्हें पाकिस्तान ने बरसों से पाला पोसा हुआ था। सीमा पार करना या वहां के क्षेत्र पर कब्जा करना इस ऑपरेशन का उद्देश्य नहीं था।

उन्होंने कहा कि इस ऑपरेशन का मकसद आतंकी कैंपों और उनके समर्थकों को निशाना बनाना, उन्हें नेस्तनाबूद करना था और ये साफ संदेश देना था कि भारत जीरो टॉलरेंस के खिलाफ है। भारत ने कार्रवाई रोकी, क्योंकि संघर्ष के पहले और उसके दौरान जो भी राजनीतिक और सैन्य उद्देश्य निर्धारित किए गए थे, उन्हें हम पूरी तरह से हासिल कर चुके थे। ऑपरेशन सिंदूर तीनों सेनाओं का शानदार उदाहरण बना। जब भारतीय वायु सेना ने आसमान से हमले किए, तो हमारी थल सेना ने जमीन पर मोर्चा संभाले रखा। हमारे जवान नियंत्रण रेखा पर पूरी ताकत से डटे रहे और पाकिस्तान की हर हरकत का करारा जवाब दिया।

उन्होंने कहा कि विपक्ष के कुछ लोग पूछते रहे हैं कि हमारे कितने विमान गिरे? मुझे लगता है उनका यह प्रश्न हमारी राष्ट्रीय जनभावनाओं का सही से प्रतिनिधित्व नहीं कर पा रहा है। उन्होंने एक बार भी हमसे यह नहीं पूछा कि हमारी सेनाओं ने दुश्मन के कितने विमान मार गिराए? राजनाथ सिंह ने कहा कि लक्ष्य जब बड़े हों, तो अपेक्षाकृत छोटे मुद्दों पर हमारा ध्यान नहीं जाना चाहिए। छोटे मुद्दों पर ही ध्यान देते रहने से देश की सुरक्षा और सैनिकों के सम्मान और उत्साह जैसे बड़े मुद्दों से ध्यान हट सकता है, जैसा कि विपक्ष के हमारे कुछ साथियों के साथ हो रहा है। हमारी सरकार ने भी पाकिस्तान के साथ शांति स्थापित करने के अनेक प्रयत्न किए, लेकिन बाद में हमने 2016 में सर्जिकल स्ट्राइक से, 2019 बालाकोट में एयर स्ट्राइक से और 2025 के ऑपरेशन सिंदूर से हमने शांति स्थापित करने का दूसरा रास्ता अपनाया है।————————————-

(Udaipur Kiran) / सुनीत निगम

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