झाबुआ, 16 अगस्त (Udaipur Kiran) । मध्य प्रदेश के जनजातीय बाहुल्य झाबुआ जिले के थान्दला में गोगानवमी के अवसर पर श्री गोगाजी महाराज का जन्म महोत्सव परंपरागत रूप से मनाया जाएगा। इस अवसर पर श्री कल्लेश्वर महादेव मंदिर स्थित गोगाजी स्थानक पर शिव रुद्राभिषेक सहित विभिन्न धार्मिक आयोजन होंगे। आयोजित कार्यक्रम में बड़ी संख्या में श्री गोगाजी महाराज के अनुयायी सम्मिलित होंगे। आयोजन के संदर्भ में पिछले कुछ दिनों से की जा रही तैयारियां लगभग पूरी हो चुकी है।
भाद्रपद मास कृष्ण पक्ष की नवमी तिथि तदनुसार रविवार 17 अगस्त को गोगा नवमी के अवसर पर नगर से करीब दो किलोमीटर दूर सजेली रोड़ पर श्री कल्लेश्वर महादेव मंदिर स्थित गोगाजी स्थानक पर शिव रुद्राभिषेक सहित विभिन्न धार्मिक आयोजन होगे। इस अवसर पर जहां विधि पूर्वक पूजा अर्चना और अभिषेक सहित धार्मिक आयोजन होंगे, वहीं गादी दर्शन के रूप में बीमार एवं पीड़ित जनों को उक्त स्थान के गादीपति एवं सेवक द्वारा आशिर्वाद भी प्रदान किया जाएगा।
आयोजित कार्यक्रम के संबंध में जानकारी देते हुए श्री कल्लेश्वर महादेव मंदिर देव स्थानम् के प्रबंधक वृजेश धानक ने बताया कि गोगा नवमी के अवसर पर श्री कल्लेश्वर महादेव मंदिर स्थित गोगादेव स्थानक पर शिव रुद्राभिषेक सहित विभिन्न धार्मिक आयोजन रखें गए हैं। इस अवसर पर प्रातः कालीन वेला में विधि पूर्वक पूजा अर्चना और शिव रुद्राभिषेक एवं तत्पश्चात भगवान् शिव की प्रतिमा का आकर्षक श्रृंगार किया जाएगा। उक्त पूजा अर्चना के बाद गादी दर्शन कार्यक्रम होगा, जिसके तहत अपने सेवक के शरीर में कुछ वक्त के लिए अंश रूप में अवस्थित गोगाजी महाराज के सेवक गिरीशचंद्र धानक द्वारा स्थान पर पहुंचे शारीरिक एवं मानसिक रूप से बीमार एवं पीड़ित जनों को आशिर्वाद प्रदान किया जाएगा। इस मौके पर प्रसादी आयोजन भी रखा गया है
उल्लेखनीय है कि श्री गोगादेव महाराज गुरू गोरखनाथजी के परम प्रिय शिष्य के रूप में जाने जाते हैं। ऐसी मान्यता है कि वे सर्पराज वासुकी के रूप में आज भी विद्यमान हैं, और आप्त जनों के संकटों का निवारण करते हैं। भारतीय इतिहास में वर्णित श्री गोगाजी 11वीं सदी के एक दुर्धुर्ष योद्धा थे, जिन्होंने कई बार विदेशी आक्रांताओं के दुष्प्रयासों को नैस्तनाबूद कर दिया। वे समस्त जीवों के प्रति दया भाव से पूरित, सच्चे अर्थों में अहिंसा के उपासक थे। अपने समग्र जीवन में उन्होंने सदैव हिंसक वृत्तियों का वीरतापूर्वक सामना करते हुए उन्हें पराभूत कर दिया और अंततः महमूद गजनवी जैसे आक्रमणकारी से गायों की रक्षा के लिए लौहा लेते हुए अपने प्राणों का बलिदान कर दिया।
श्री गोगाजी देश के विभिन्न राज्यों में पृथक पृथक नामों से जाने जाते है। वे राजस्थान में गातोड़जी चौहान मध्यप्रदेश सहित मारवाड़ में गोगाजी और मेवाड़ में गात्तौड़िया श्याम के रूप में प्रसिद्ध हैं, यही नहीं बल्कि मुस्लिम संप्रदाय में वे जाहर वीर पीर के नाम से जाने जाते हैं।
गोगा नवमी पर देश के विभिन्न स्थानों पर श्री गोगाजी महाराज की छड़ी यात्रा उत्सव का आयोजन भी बड़ी धूम धाम से किया जाता है। देश में कुछ स्थानों पर भाद्रपद मास कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि से नवमी तिथि तक छड़ी उत्सव के रूप में विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।
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(Udaipur Kiran) / डॉ. उमेश चंद्र शर्मा
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