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सैफ अली खान को पुश्तैनी संपत्ति मामले में झटका, हाई कोर्ट ने कहा- ट्रायल कोर्ट फिर करे सुनवाई

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– हाई कोर्ट ने 25 साल पुराना आदेश खारिज किया

जबलपुर, 4 जुलाई (Udaipur Kiran) । मशहूर फिल्म अभिनेत्री शर्मिला टैगोर, उनके बेटे फिल्म अभिनेता सैफ अली खान सहित पटौदी परिवार को पुश्तैनी संपत्ति के मामले में मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय से बड़ा झटका लगा है। उच्च न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति संजय द्विवेदी की पीठ भोपाल रियासत के अंतिम नवाब मोहम्मद हमीदुल्ला खान की संपत्ति के उत्तराधिकार के संबंध में ट्रायल कोर्ट को नए सिरे से पुनः सुनवाई के आदेश जारी किए हैं। एकलपीठ ने शुक्रवार को पारित अपने आदेश में कहा है कि ट्रायल कोर्ट एक साल की निर्धारित समय अवधि ने प्रकरण की सुनवाई करे। एकलपीठ ने उक्त आदेश के साथ ट्रायल कोर्ट द्वारा 14 फरवरी 2000 में पटौदी परिवार के पक्ष में पारित आदेश को निरस्त कर दिया है और एक साल के भीतर मामले का निपटारा करने के निर्देश दिए।

यह विवाद भोपाल के अंतिम नवाब, हमीदुल्ला खान की संपत्ति से जुड़ा है, जिसकी कानूनी उत्तराधिकार की लड़ाई उनके वंशजों के बीच लंबे समय से चली आ रही है। भोपाल रियासत के वंशज का दावा करते हुए बेगम सुरैया रशीद, बेगम मेहर ताज नवाब साजिदा सुल्तान, नवाबजादी कमर ताज राबिया सुल्तान, नवाब मेहर ताज साजिदा सुल्तान एवं अन्य ने भोपाल जिला न्यायालय द्वारा पारित आदेश के खिलाफ हाई कोर्ट में साल 2000 में दो अपील दायर की गई थीं। अपील में कहा गया था कि भोपाल रियासत का भारत संघ में विलय 30 अप्रैल 1949 में हुआ था। लिखित समझौते के अनुसार विलय के बाद नवाब के विशेष अधिकार जारी रहेंगे और निजी संपत्ति के पूर्ण स्वामित्व के उत्तराधिकार भोपाल सिंहासन उत्तराधिकार अधिनियम 1947 के तहत होंगे। नवाब की मृत्यु के बाद साजिदा सुल्तान को नवाब घोषित किया गया था। भारत सरकार ने 10 जनवरी 1962 को पत्र जारी की संविधान के अनुच्छेद 366 (22) के तहत व्यक्तिगत संपत्ति का उल्लेख निजी संपत्ति के रूप में किया था। नवाब मोहम्मद हमीदुल्ला खान की मृत्यु के पश्चात उनकी निजी संपत्ति का बंटवारा मुस्लिम पर्सनल लॉ के अनुसार वादीगण और प्रतिवादियों के बीच होना चाहिए था। भोपाल जिला न्यायालय में संपत्ति उत्तराधिकारी की मांग करते हुए आवेदन प्रस्तुत किया गया था। जिला न्यायालय ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय पारित निर्णय के आधार पर उनका आवेदन खारिज कर दिया था।

एकलपीठ ने अपने आदेश में कहा है कि ट्रायल कोर्ट ने मामले के अन्य पहलुओं पर विचार किए बिना इलाहाबाद उच्च न्यायालय द्वारा पारित आदेश के अनुसार प्रकरण को खारिज कर दिया था। ट्रायल कोर्ट इस तथ्य पर विचार करने में विफल रहा कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा विलय करने पर सिंहासन उत्तराधिकार अधिनियम को खारिज कर दिया गया था। विचाराधीन मामला विरासत के विभाजन का है, इसलिए सीपीसी के 14 नियम 23 ए के प्रावधान के मद्देनजर मेरी राय है कि इन मामलों को नए सिरे से तय करने के लिए ट्रायल कोर्ट में वापस भेजा जाता है। ट्रायल कोर्ट बदली हुई कानूनी स्थिति के मद्देनजर पक्षों को सबूत पेश करने की अनुमति दे सकता है। दायर अपील में नवाब मंसूर अली खान पटौदी, उनकी पत्नी शर्मिला टैगोर, बेटा सैफ अली खान सहित दोनों बेटियों को अनावेदक बनाया गया था।

अरबों की है संपत्ति

विवादित संपत्ति का मूल्य अरबों में आंका गया है, जिसमें हजारों एकड़ ज़मीन और अहमदाबाद स्थित एक पैलेस भी शामिल है। इस फैसले से सैफ अली खान और उनके परिवार के लिए कानूनी चुनौतियाँ अगले एक साल तक बढ़ सकती हैं।

भोपाल के अंतिम नवाब हाफिज सर हमीदुल्ला खान, जिनका निधन 1956 में हुआ, ने दो शादियाँ की थीं। उनकी बड़ी बेगम की बेटी साजिदा सुल्तान को 1961 में भारत सरकार ने कानूनी उत्तराधिकारी घोषित किया था। साजिदा, सैफ अली खान की परदादी थीं। उन्होंने पटौदी रियासत के नवाब इफ्तिखार अली खान से विवाह किया था। उनके बेटे मंसूर अली खान पटौदी और फिर सैफ अली खान इस पुश्तैनी विरासत के संभावित वारिस माने गए।———–

(Udaipur Kiran) तोमर

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