गोरखपुर, 16 अक्टूबर (Udaipur Kiran News) . महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय गोरखपुर (एमजीयूजी) के गुरु गोरक्षनाथ इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (आयुर्वेद कॉलेज) में गुरुवार को उद्घाटित एकीकृत चिकित्सा केंद्रित अंतरराष्ट्रीय सेमीनार ‘आरोग्य संगम – 2025’ के तहत पहले दिन विभिन्न विषयों पर वैज्ञानिक सत्रों का आयोजन किया गया. प्रथम सत्र में मुख्य वक्ता नेपाल से आए काय चिकित्सा विशेषज्ञ डॉ. संजय पोखरेल ने ‘चिकित्सा पर्यटन और समग्र कल्याण का दायरा’ विषय पर व्याख्यान प्रस्तुत किया.
डॉ. पोखरेल ने आयुर्वेद के मूल सिद्धांतों को स्पष्ट करते हुए कहा कि आयुर्वेद के अनुसार जब शरीर, मन और आत्मा में संतुलन होता है, तभी वास्तविक स्वास्थ्य और सुख की प्राप्ति होती है. उन्होंने बताया कि आहार–विहार, योग–प्राणायाम, ध्यान और पंचकर्म आयुर्वेद में समग्र स्वास्थ्य के प्रमुख अंग हैं. आने वाले समय में यह क्षेत्र रोजगार के नए अवसरों का भी आधार बनेगा. इस सत्र की अध्यक्षता डॉ. अशोक वार्ष्णेय ने की.
द्वितीय सत्र में डॉ. रजनी ए. नायर ने इंटीग्रेटिव मेडिसिन के महत्व को बताते हुए कहा यह एक ऐसी पद्धति है जो पारम्परिक और वैकल्पिक चिकित्सा को मिलाकर रोगों के उपचार और व्यक्तिगत देखभाल पर केंद्रित है. तीसरे सत्र में राष्ट्रीय पारम्परिक चिकित्सा संस्थान के वैज्ञानिक डॉ. सुबर्णा रॉय ने इंटीग्रेटिव हेल्थ की संकल्पना को स्पष्ट करते हुए इसके महत्व एवं लाभों पर विस्तार से चर्चा की. उन्होंने इंटीग्रेटिव हेल्थ के कम्पोनेंट के बारे में भी बताया और उल्लेख किया कि इस क्षेत्र में अनुसंधान अत्यंत आवश्यक है, किन्तु वर्तमान समय में यह प्रक्रिया धीमी गति से प्रगति कर रही है.
चतुर्थ सत्र में मुख्य वक्ता सीएसआईआर सीआईएमएडी, लखनऊ के सीनियर प्रिंसिपल साइंटिस्ट डॉ. रमेश श्रीवास्तव ने ‘आयुर्वेद एवं मानव कल्याण में औषधीय एवं सुगंधित पौधों के सतत उपयोग’ विषय पर व्याख्यान प्रस्तुत किया. उन्होंने बताया कि किसानों तथा हर्बल एवं एरोमैटिक उद्योगों के लिए औषधीय एवं सुगंधित पौधों की उन्नत किस्मों का विकास किया जा रहा है.
सत्र की अध्यक्षता आल इंडिया इंस्टिट्यूट ऑफ आयुर्वेद के निदेशक डॉ. मनोरंजन शाहू ने की. पांचवें सत्र में नीमहंस बेंगलुरु में इंटीग्रेटिव मेडिसिन के हेड किशोर राम कृष्णन सिज़ोफ्रेनिया और इसके लक्षणों के बारे में बताया. उन्होंने डिप्रेशन और उसके आयुर्वेदिक उपचार पर भी प्रकाश डाला.
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(Udaipur Kiran) / प्रिंस पाण्डेय
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