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आयकर अधिनियम, 2025 को राष्ट्रपति की मंजूरी, 1 अप्रैल, 2026 से होगा लागू

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नई दिल्‍ली, 22 अगस्‍त (Udaipur Kiran) । केंद्र सरकार ने शुक्रवार को जारी आधिकारिक राजपत्र में 1961 के कानून की जगह लेने वाले आयकर अधिनियम, 2025 को अधिसूचित कर दिया है। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की ओर से अधिनियम को मंजूरी दिए जाने के एक दिन बाद ये अधिसूचना जारी की गई है। नया कानून 1 अप्रैल, 2026 से लागू होंगे।

आयकर विभाग के मुताबिक आयकर अधिनियम, 2025 को 21 अगस्त को राष्ट्रपति की स्वीकृति मिल गई है। 1961 के अधिनियम की जगह लेने वाला यह एक ऐतिहासिक सुधार है, जो एक सरल, पारदर्शी और अनुपालन-अनुकूल प्रत्यक्ष कर व्यवस्था की शुरुआत करता है। आयकर अधिनियम, 2025 के तहत नए कानून 1 अप्रैल, 2026 से लागू होंगे। सरकार ने कहा, इस अधिनियम को आयकर अधिनियम, 2025 कहा जा सकता है। ये पूरे भारत पर लागू होगा। यह छह दशकों से भी अधिक समय के बाद मौजूदा कर प्रणाली में व्यापक बदलाव का प्रतीक है। इसी हफ्ते संपन्न हुए मानसून सत्र के दौरान संसद में आयकर अधिनियम, 2025 को पारित किया गया।

अब आयकर अधिनियम, 2025 के तहत नए नियम

नया आयकर अधिनियम, 2025, 1961 के कानून को सरल बनाने का प्रयास है, ताकि एक छोटा, स्पष्ट और अधिक संक्षिप्त दस्तावेज़ तैयार किया जा सके जो करदाताओं के लिए लाभकारी हो। इस अधिनियम ने अनावश्यक प्रावधानों और पुरानी भाषा को हटाकर आम लोगों के लिए सरल भाषा का प्रयोग शुरू किया है। इसके अलावा आयकर अधिनियम, 1961 की धाराओं की संख्या 819 से घटाकर 536 कर दी गई है, जबकि अध्यायों की संख्या 47 से घटाकर 23 कर दी गई है।

आयकर अधिनियम, 2025 में एक बड़ा बदलाव ये है कि आकलन वर्ष (AY) और वित्तीय वर्ष (FY) का नाम बदलकर कर वर्ष कर दिया गया है, ताकि किसी भी तरह की भ्रांतियों से बचा जा सके। इसमें वेतनभोगी व्यक्तियों, व्यवसायियों, पेशेवरों और अन्य करदाताओं के लिए मौजूदा स्लैब दरें बरकरार रखी गई हैं। नए आयकर अधिनियम में शब्दों की संख्या 5.12 लाख से घटाकर 2.6 लाख कर दी गई है तथा पहली बार इसमें स्पष्टता बढ़ाने के लिए 1961 के कानून के सघन पाठ के स्थान पर 39 नई सारणियां और 40 नए सूत्र शामिल किए गए हैं।

केंद्र ने उस विवादास्पद प्रावधान को भी बरकरार रखा है, जिसके तहत आयकर अधिकारियों को तलाशी अभियान या जब्ती के दौरान आपके ईमेल और सोशल मीडिया तक पहुंचने का अधिकार होगा, इस प्रकार वर्चुअल डिजिटल स्पेस की परिभाषा बरकरार रखी गई है।

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(Udaipur Kiran) / प्रजेश शंकर

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