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दिलीप कुमार की यादों में खोए धर्मेंद्र, भावुक पोस्ट की शेयर

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भले ही दिग्गज अभिनेता दिलीप कुमार अब हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन उनकी यादें आज भी प्रशंसकों के दिलों में ज़िंदा हैं। हिंदी सिनेमा के इस ‘ट्रेजेडी किंग’ को उनके साथी कलाकार भी हर मौके पर याद करते हैं। उनकी पुण्यतिथि के अवसर पर उनके बेहद करीबी दोस्त और बॉलीवुड के दिग्गज अभिनेता धर्मेंद्र भावुक हो उठे। सोशल मीडिया पर एक पोस्ट शेयर करते हुए धर्मेंद्र ने बताया कि दिलीप की कमी उन्हें कितनी खलती है।

धर्मेंद्र ने दिलीप कुमार संग अपनी एक यादगार पुरानी तस्वीर सोशल मीडिया पर शेयर की और दिल छू लेने वाला संदेश लिखा। उन्होंने लिखा, आज का दिन बेहद गमगीन और मन को तोड़ देने वाला है। आज ही के दिन मेरे सबसे प्यारे दोस्त, आप सबके चहेते कलाकार, फिल्म इंडस्ट्री के खुदा और एक नेकदिल इंसान, दिलीप साहब हम सभी को छोड़कर हमेशा के लिए चले गए। यह ग़म शायद कभी नहीं भरेगा, लेकिन दिल को यही तसल्ली देता हूं कि वो कहीं न कहीं हमारे ही आसपास हैं। धर्मेंद्र की इस भावुक पोस्ट पर प्रशंसक भी भावनाओं में बहते दिखे और दिल खोलकर उन्हें अपना प्यार और समर्थन दे रहे हैं।

धर्मेंद्र और दिलीप कुमार की दोस्ती की शुरुआत साल 1966 में रिलीज़ हुई फिल्म ‘पारी’ से हुई थी, जिसमें दिलीप साहब ने एक मेहमान भूमिका निभाई थी। यही वह फिल्म थी, जिसने दोनों दिग्गज कलाकारों को पहली बार एक साथ पर्दे पर लाया। पर्दे की इस मुलाकात ने असल ज़िंदगी में भी एक गहरी दोस्ती की नींव रखी। धर्मेंद्र ने समय-समय पर दिलीप साहब को याद करते हुए अपने मन की भावनाएं दुनिया के सामने रखी हैं। पिछले साल दिलीप कुमार की पत्नी सायरा बानो ने भी सोशल मीडिया पर धर्मेंद्र और दिलीप साहब की मुलाकातों से जुड़ी यादों के कुछ अनमोल किस्से शेयर किए थे, जो प्रशंसकों के लिए किसी खजाने से कम नहीं हैं।

जब दिलीप कुमार ने भारत की सरज़मीं पर अपने कदम रखे थे, तब किसे अंदाजा था कि एक दिन यही शख्सियत करोड़ों दिलों की धड़कन बन जाएगी। उन्होंने न सिर्फ अभिनय किया, बल्कि सिनेमा को एक नई परिभाषा दी। वो वाकई हिंदी सिनेमा के असली फनकार थे। उन्होंने अपनी यादगार फिल्मों के ज़रिए दशकों तक दर्शकों का मनोरंजन किया और दिलों पर राज किया। 7 जुलाई, 2021 को मुंबई के हिंदुजा अस्पताल में उन्होंने अपनी अंतिम सांस ली। उनके जाने के साथ ही हिंदी फिल्म इंडस्ट्री का एक स्वर्णिम युग हमेशा के लिए इतिहास बन गया।

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(Udaipur Kiran) / लोकेश चंद्र दुबे

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