नई दिल्ली, 30 अप्रैल . केंद्रीय शिक्षा एवं पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास राज्य मंत्री डॉ. सुकांत मजूमदार ने बुधवार को यहां आईसीएआर में प्रधानमंत्री उच्चतर शिक्षा अभियान (पीएम-यूएसएचए) के अंतर्गत बहु-विषयक शिक्षा एवं अनुसंधान विश्वविद्यालयों (एमईआरयू) पर दो दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला का उद्घाटन किया.
डॉ. सुकांत मजूमदार ने अपने संबोधन में राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 के महत्व पर प्रकाश डाला और कहा कि इसका उद्देश्य भारत के छात्रों को वैश्विक चुनौतियों का सामना करने के लिए आवश्यक कौशल और ज्ञान से लैस करना है.
उन्होंने कहा कि विभिन्न विश्वविद्यालयों के 64 से अधिक कुलपतियों की भागीदारी के साथ-साथ उच्च शिक्षा के राज्य परियोजना निदेशकों द्वारा प्रतिनिधित्व किए गए राज्य अधिकारियों के साथ, राष्ट्रीय कार्यशाला केंद्र और राज्य सरकार के वित्तपोषण के सहयोग से एनईपी के विभिन्न तत्वों को सर्वोत्तम तरीके से लागू करने के तरीके पर आवश्यक मार्गदर्शन प्रदान करेगी. डॉ. मजूमदार ने कहा कि 35 विश्वविद्यालयों के लिए, मंत्रालय बहु-विषयक शिक्षा और अनुसंधान विश्वविद्यालय (एमईआरयू) घटकों के तहत 44 अनिवार्य गतिविधियों को लागू करने के लिए प्रत्येक को 100 करोड़ रुपये प्रदान कर रहा है. उन्होंने सभी से 2047 तक विकसित भारत के सपने को साकार करने के लिए प्रतिबद्धता और सहयोग के साथ आगे बढ़ने का आग्रह किया, जहां हर विश्वविद्यालय नवाचार, समावेश और वैश्विक उत्कृष्टता का केंद्र बन जाए.
उच्च शिक्षा विभाग के सचिव डॉ. विनीत जोशी ने अपने भाषण में 21वीं सदी के लिए छात्रों को तैयार करने में एनईपी 2020 के महत्व पर जोर दिया. उन्होंने उच्च शिक्षण संस्थानों में शोध के महत्व पर भी प्रकाश डाला और प्रतिभागियों से अन्य संस्थानों से सर्वोत्तम प्रथाओं को सीखने और अपनाने तथा उन्हें अपने विशिष्ट संदर्भ में दोहराने का आग्रह किया. उन्होंने कहा कि यह सहयोगात्मक दृष्टिकोण देश में तेजी से सुधार सुनिश्चित करेगा. उन्होंने बेहतर परिणाम प्राप्त करने के लिए मातृभाषा में शिक्षा और शिक्षण सामग्री की आवश्यकता पर भी जोर दिया.
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/ सुशील कुमार
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