मंडी, 29 मई . वन संसाधनों के प्रबंधन में स्थानीय समुदायों की भूमिका सुनिश्चित करने व वानिकी कार्यों से युवाओं को जोड़ने के दृष्टिगत प्रदेश सरकार ने महत्वकांक्षी वन मित्र योजना आरंभ की है. इस योजना के तहत स्थानीय युवाओं को न केवल घर के समीप आजीविका के साधन उपलब्ध हो रहे हैं अपितु वन क्षेत्र को संरक्षित करने में उनका सक्रिय योगदान भी सुनिश्चित हुआ है. इस योजना के तहत प्रदेश के 2061 वन क्षेत्रों में एक-एक ‘वन मित्र’ रखा जा रहा है, ताकि जमीनी स्तर की संस्थाओं को शामिल करके वन क्षेत्रों की सुरक्षा, संरक्षण और विकास में स्थानीय समुदायों की भागीदारी मजबूत की जा सके.
मंडी वन वृत्त में योजना के तहत 309 वन मित्र रखे गए हैं. इनमें 18 से 25 वर्ष आयु वर्ग की 188 युवतियां एवं 121 युवक शामिल हैं. जिला में वन मित्रों के रूप में युवतियों की प्रभावी सहभागिता सामने आई है जो प्रदेश सरकार की महिला सशक्तिकरण की नीति को भी सार्थक करती है. महिलाएं आज किसी भी क्षेत्र में पीछे नहीं हैं और वनों के संरक्षण में उनकी भूमिका निश्चित तौर पर सामाजिक जागरूकता लाने एवं जन चेतना के स्तर पर बेहतर परिणाम प्राप्त करने में सहायक सिद्ध होगी.
मंडी जिला के करसोग क्षेत्र के शंकर देहरा की रहने वाली प्रशिक्षु वन मित्र आकांक्षा ठाकुर ने बताया कि उन्हें चुनौतियां पसंद हैं. जब वन मित्र योजना के बारे में पता चला तो उन्होंने वनों की सुरक्षा की चुनौती सहज स्वीकार कर ली. स्नातक की पढ़ाई कर चुकी आकांक्षा ने बताया कि प्रशिक्षण के दौरान उन्हें चुनौतियों से पार पाते हुए जंगल की रक्षा करने, नर्सरी प्रबंधन, पौधरोपण इत्यादि के बारे में गहन जानकारी प्रदान की जा रही है. वन संपदा के संरक्षण एवं घर के समीप आजीविका के साधन उपलब्ध करवाने के लिए उन्होंने मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंद्र सिंह सुक्खू का आभार व्यक्त किया है.
एक अन्य प्रशिक्षु प्रियंका ने बताया कि वह पूरी निष्ठा से अपने दायित्वों का निर्वहन करेंगी. वनों को आग से बचाने सहित वन प्रबंधन से जुड़े अन्य कार्यों में सहयोग देने के लिए वे तत्पर हैं. उसी प्रकार पांगणा रेंज के प्रशिक्षु वन मित्र गुलशन प्रेमी ने बताया कि जंगलों को बचाने की जिम्मेवारी पाकर वह खुश हैं. फायर सीजन में वन संपदा को अकसर नुकसान होता है, मगर युवा पीढ़ी वन मित्र के रूप में इस अमूल्य संपदा को बचाने में अपना पूर्ण सहयोग देगी.
वन मित्र योजना पर्वतीय क्षेत्रों के वन आवरण और वृक्ष आवरण को संरक्षित करने और ढलानों को स्थिर करने, सतही अपवाह को कम करने, मिट्टी के कटाव को रोकने और स्वीकृत कार्य योजनाओं के अनुसार वानिकी प्रथाओं को लागू करने पर केंद्रित है. इसके लिए वन विभाग के साथ-साथ राष्ट्रीय वन नीति के लक्ष्यों को पूरा करने के लिए स्थानीय समुदायों को शामिल करने की पहल की गई है.
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/ मुरारी शर्मा
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