लखनऊ, 25 मई . केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय लखनऊ परिसर की 48 छात्राएं हिमालयन ट्रैकिंग के लिए रवाना हुई. ”ट्रैकिंग दल को विश्वविद्यालय के कुलसचिव प्रो आर जी मुरली कृष्ण ने हरी झंडी दिखाकर रवाना किया. प्रतिभागियों को पीर पंजाल और धौलाधार हिमालय श्रृंखलाओं की प्राकृतिक एवं नैसर्गिक छटा को देखने और उससे सीखने का अवसर मिलेगा.
विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो श्रीनिवास वरखेड़ी ने अपने आशीर्वचन में कहाकि “यह अनुपम शौर्य से भरा अभियान न केवल भारतवर्ष के भूगोल को प्रत्यक्ष रूप से देखने का अवसर देगा, बल्कि इससे संस्कृत भाषा की महत्ता भी देश के दूरस्थ क्षेत्रों तक पहुँचेगी. यह अभियान भारत की एकात्मता और सांस्कृतिक समरसता के प्रसार में सहायक सिद्ध होगा.”
प्रो.वरखेड़ी ने आगे कहा कि, “इस अभियान का प्रमुख ध्येय है — ‘हिमालयस्य शिखरे शिखरे संस्कृतम्, भारतस्य गेहे गेहे संस्कृतम्’. यह केवल एक नारा नहीं, बल्कि संस्कृत को पुनः जनजीवन से जोड़ने का एक सशक्त प्रयास है.
कुलसचिव ने ट्रैकिंग दल के सदस्यों को सम्बोधित करते हुए कहा कि भारत की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक विरासत को पुनः जागृत करने हेतु एक अद्वितीय साहसिक अभियान संचालित किया जा रहा है. यह अभियान हिमालय की गोद में बसे सौंदर्य और सांस्कृतिक गौरव को नई दृष्टि से देखने का अवसर प्रदान करेगा. इस अभियान का उद्देश्य न केवल हिमालय की प्राकृतिक गरिमा को नमन करना है, बल्कि संस्कृत भाषा के महत्व को जन-जन तक पहुँचाना भी है.
उन्होंने अभियान में उच्च हिमालयी क्षेत्र में आवश्यक सावधानियों,पर्यावरण के प्रति सजगता तथा प्राकृतिक संरचनाओं के प्रति सम्मान का महत्व भी बताया. साथ ही उन्होंने भविष्य में ऐसे और अधिक व्यापक व नियमित साहसिक अभियानों के आयोजन की बात कही.
विश्वविद्यालय के छात्र कल्याण के डीन प्रो. मदनमोहन झा ने बताया कि इस अभियान के माध्यम से विश्वविद्यालय के छात्र छात्राओं में साहस,संस्कृति और भाषा के प्रति जागरूकता का संचार होगा. यह पहल भारत की एकता, विविधता और प्राचीन परंपराओं को एक नवीन मंच पर प्रतिष्ठित करेगी.
केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय लखनऊ परिसर के निदेशक प्रो. सर्वनारायण झा ने बताया कि इस वर्ष भी 50 प्रतिभागी ट्रैकिंग के लिए जा रहें हैं . आगे भी यह अभियान नियमित रूप से संचालित किया जाएगा. ट्रैकिंग अभियान के समन्वयक डॉ योगेंद्र दीक्षित ने बताया कि इस ट्रैकिंग अभियान में विश्वविद्यालय के सभी परिसरों के 48 छात्र-छात्राएं और 02 मार्गदर्शक जा रहे हैं.
दल का नेतृत्व तरुणोदय संस्कृत संस्थान, शिवमोगा, कर्नाटक के विजेंदर राव कर कर रहे हैं. दल के सदस्य शिओबाग बेस कैंप कुल्लू से 12000 फ़ीट राओरी खोली बेस कैंप तक जाएंगे. यह आठ दिवसीय यात्रा है. जो 25 मई को शिओ बाग़ बेस कैंप कुल्लू से प्रारम्भ होकर से सेठन गांव, कुकी नाला शिविर पड़ाव करेगी. उसके बाद लामदो, सुरतू नाला ,देव टिब्बा,जाबरी नाला होते हुए राओरी खोली बेस कैंप पर पहुँचेगी.
ट्रेकिंग अभियान के ध्वजारोहण के अवसर पर विश्वविद्यालय के अधिकारी प्रो कुलदीप शर्मा, प्रो मधुकेश्वर भट्ट, प्रो गणेश टी पण्डित, प्रो नारायण सिम्हा आर एल , प्रो लीना सक्करवाल,डॉ अमृता कौर, डॉ डी दयानाथ उपस्थित रहे.
/ बृजनंदन
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