रांची, 30 मई . झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) ने 16वें वित्त आयोग के समक्ष राज्य के सामाजिक-आर्थिक पिछड़ेपन, पर्यावरणीय चुनौतियों, केंद्र-राज्य संबंधों में संतुलन और क्षेत्रीय विषमताओं को उजागर करते हुए कई अहम मांगें रखी हैं. झामुमो महासचिव सह प्रवक्ता विनोद कुमार पांडेय और नगर विकास मंत्री सुदिव्य कुमार ने शुक्रवार को आयोग से आग्रह किया कि राज्य की विशेष परिस्थिति को ध्यान में रखते हुए वित्तीय सहायता और संसाधनों के आवंटन में झारखंड के साथ न्याय किया जाए.
झामुमो महासचिव विनोद पांडेय ने कहा कि झामुमो की ये मांगें केवल आर्थिक नहीं, बल्कि राज्य के सामाजिक और सांस्कृतिक सशक्तिकरण से भी जुड़ी हुई हैं. पार्टी का मानना है कि यदि वित्त आयोग इन बिंदुओं पर गंभीरता से विचार करता है तो झारखंड को विकास की मुख्यधारा में लाने की दिशा में बड़ा कदम होगा.
चुनौतियों से जूझ रहा झारखंड
विनोद ने कहा कि झारखंड एक अनुसूचित जनजाति बहुल राज्य है, जो सामाजिक और आर्थिक दृष्टिकोण से देश के अन्य राज्यों की तुलना में अधिक पिछड़ा हुआ है. राज्य की भौगोलिक विषमताएं, बड़े हिस्से में फैले नक्सल प्रभावित इलाके और दुर्गम क्षेत्र विकास को महंगा और जटिल बना देते हैं. ऐसे में उन्होंनने वित्त आयोग से आग्रह किया है कि राज्य की इन खास परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए उसे सहायता अनुदान प्रदान किया जाए.
पिछड़े राज्यों की हिस्सेदारी बढ़े
झामुमो ने आयोग का इस ओर ध्यान दिलाया कि वर्तमान कर व्यवस्था में अधिकांश कर संग्रहण केंद्र सरकार की ओर से किया जाता है. इससे बड़े और विकसित राज्यों को अपेक्षाकृत अधिक लाभ मिलता है. वहीं झारखंड जैसे छोटे और संसाधन-आधारित राज्यों को अपेक्षित हिस्सेदारी नहीं मिल पाती. झामुमो की मांग है कि करों के बंटवारे में पिछड़े राज्यों की हिस्सेदारी बढ़ाई जाए ताकि वे भी देश के समग्र विकास में प्रभावी भूमिका निभा सकें.
साथ ही कहा कि खनिज संपदा से भरपूर झारखंड को इसके दोहरे परिणाम भुगतने पड़ते हैं. एक ओर खनन से मिलने वाला बड़ा आर्थिक लाभ केंद्र को जाता है तो दूसरी ओर पर्यावरण और सामाजिक नुकसान राज्य को उठाना पड़ता है. झामुमो ने यह मांग रखी है कि डीएमएफटी (डिस्ट्रिक मिनरल फाउंडेशन ट्रस्ट) में राज्य की हिस्सेदारी बढ़ाई जाए ताकि खनन प्रभावित क्षेत्रों के पुनर्वास और विकास पर समुचित खर्च किया जा सके.
केंद्रीय उपक्रमों पर भारी बकाया दिलाएं
पार्टी ने कहा कि राज्य सरकार के अनुसार केंद्र सरकार के उपक्रमों पर राज्य का करीब एक लाख 40 हजार करोड़ रुपये बकाया है. इसे लेकर राज्य सरकार ने कई बार पत्राचार किया है, लेकिन अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई. झामुमो ने वित्त आयोग से अपील की है कि इस राशि की वसूली में राज्य सरकार की मदद की जाए ताकि विकास कार्यों के लिए जरूरी संसाधन उपलब्ध हो सकें.
झारखंड के कई क्षेत्र अनुसूचित पांचवीं अनुसूची के अंतर्गत आते हैं. झामुमो का कहना है कि जैसे छठी अनुसूची वाले क्षेत्रों को विशेष अधिकार और सहायता मिलती है, वैसे ही पांचवीं अनुसूची के क्षेत्रों को भी विशेष वित्तीय सहायता दी जानी चाहिए. इससे आदिवासी, दलित, पिछड़े, अल्पसंख्यक, महिला, युवा, किसान और स्थानीय उद्यमी सशक्त होंगे और राष्ट्र निर्माण में भागीदारी बढ़ेगी.
—————
/ Vinod Pathak