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अल्पसंख्यक शैक्षिक संस्थान विधेयक से संवैधानिक अधिकार होंगे सुरक्षित: महेंद्र भट्ट

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देहरादून, 17 अगस्त (Udaipur Kiran) । भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के प्रदेश अध्यक्ष और राज्यसभा सदस्य महेंद्र भट्ट ने मंत्रिमंडल में उत्तराखंड अल्पसंख्यक शैक्षिक संस्थान विधेयक को विधानसभा के पटल पर लाने के निर्णय का स्वागत किया है। उन्होंने कहा कि इस अधिनियम से शैक्षिक गुणवत्ता के साथ ही अल्पसंख्यकों के संवैधानिक अधिकार भी सुरक्षित रहेंगे।

महेंद्र भट्ट ने रविवार को यहां एक बयान जारी कर कहा कि इस अधिनियम से राज्य में अल्पसंख्यक समुदायों के शैक्षिक संस्थानों को अब पारदर्शी प्रक्रिया के माध्यम से मान्यता मिलेगी। शिक्षा की गुणवत्ता के साथ-साथ अल्पसंख्यकों के संवैधानिक अधिकार भी सुरक्षित रहेंगे। इससे राज्य सरकार के पास संस्थानों के संचालन की निगरानी करने और समय-समय पर आवश्यक निर्देश जारी करने की शक्ति होगी। उन्होंने कहा कि यह देश का पहला ऐसा अधिनियम होगा, जिसका उद्देश्य राज्य में अल्पसंख्यक समुदायों की ओर से स्थापित शैक्षिक संस्थानों को मान्यता प्रदान करने के लिए पारदर्शी प्रक्रिया स्थापित करना है। साथ ही शिक्षा में गुणवत्ता और उत्कृष्टता सुनिश्चित करना है। भाजपा का मूलमंत्र सबका साथ, सबका विकास है। इसलिए इस अधिनियम में सभी अल्प संख्यक वर्गों को प्रतिनिधित्व दिया गया है। अभी तक अल्पसंख्यक शैक्षिक संस्थान का दर्जा केवल मुस्लिम समुदाय को मिलता था। अब अन्य अल्पसंख्यक समुदायों सिख, जैन, ईसाई, बौद्ध एवं पारसी को भी यह सुविधा मिलेगी।

उन्होंने कहा कि अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार शैक्षिक संस्थान को अल्पसंख्यक शैक्षिक संस्थान का दर्जा पाने के लिए मान्यता लेने और संस्थानों की स्थापना एवं संचालन में हस्तक्षेप नहीं करने बल्कि शिक्षा की गुणवत्ता और उत्कृष्टता में सहयोग जैसे कदम सराहनीय है।उन्हाेंने कहा कि मान्यता प्राप्त करने के लिए जरूरी प्रावधान है कि शैक्षिक संस्थान का सोसाइटी एक्ट, ट्रस्ट एक्ट या कंपनी एक्ट के अंतर्गत पंजीकरण होना भूमि, बैंक खाते एवं अन्य संपत्तियां संस्थान के नाम पर होना अच्छा कदम है। इससे वित्तीय गड़बड़ी, पारदर्शिता की कमी या धार्मिक एवं सामाजिक सद्भावना के विरुद्ध गतिविधियों की स्थिति में मान्यता वापस ली जा सकती है। यह कदम इसलिए भी जरूरी है, क्योंकि शैक्षिक संस्थानों में हाल ही में कई गड़बड़ियां और घपले सामने आये थे। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड विद्यालयी शिक्षा बोर्ड की ओर से निर्धारित मानकों के अनुसार मान्यता मिलने से विद्यार्थियों का मूल्यांकन निष्पक्ष एवं पारदर्शी हो सकेगा। उन्होंने कहा कि गुणवत्तापरक शिक्षा के लिए यह अधिनियम मील का पत्थर साबित होगा।

(Udaipur Kiran) / राजेश कुमार

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