कोरबा, 23 जुलाई (Udaipur Kiran) । कई जगह इलाज करा कर निराश हो चुके लोगों के लिए आयुर्वेद एक नई उम्मीद बनकर उभरा है। कोरबा में एक बार फिर आयुर्वेद के चमत्कार ने सबको चौंका दिया है। जहाँ यकृत (लिवर) की गंभीर समस्या से जूझ रहे सीएसईबी निवासी अमन कुमार ने आयुर्वेदिक उपचार से पूर्ण स्वास्थ्य लाभ प्राप्त किया है।
अमन कुमार ने बताया कि बीते लंबे समय से यकृत (लिवर) संबंधी समस्याओं से परेशान थे। उन्होंने बताया की सोनोग्राफी कराने पर उन्हें फैटी लिवर होना बताया तथा ब्लड टेस्ट में उनका बिलीरुबीन, एसजीपीटी, एसजीओटी लेवल बढ़ा हुआ था, जिसके कारण उन्हें अत्यधिक कमजोरी, गैस, एसिडिटी, भूख न लगना, पाचन सही न होना तथा चक्कर आदि परेशानियों का सामना करना पड़ रहा था। इस गंभीर बीमारी के इलाज के लिए उन्होंने कई बड़े अस्पतालों के चक्कर लगाए, लेकिन कहीं भी उन्हें संतोषजनक परिणाम नहीं मिल पा रहा था और उनकी हालत दिन-ब-दिन बिगड़ती जा रही थी। निराशा के भँवर में फँसे अमन कुमार को उनके एक मित्र ने आयुर्वेद अपनाने की सलाह दी। इस सलाह पर अमल करते हुए वे कोरबा के प्रसिद्ध आयुर्वेदिक चिकित्सक नाड़ीवैद्य डॉ. नागेंद्र नारायण शर्मा के पास पहुंचे।
नाड़ीवैद्य डॉ. नागेंद्र नारायण शर्मा ने बताया कि जब अमन कुमार उनके पास आए, तो उनकी स्थिति सही नहीं थी। नाड़ीवैद्य डॉ.नागेंद्र नारायण शर्मा ने अपनी विशेषज्ञता का उपयोग करते हुए अमन कुमार का प्रकृति परीक्षण किया। उन्होंने बताया। ”हमने पाया कि मरीज की यकृत (लिवर) की कार्यप्रणाली बुरी तरह प्रभावित थी और बिलीरुबीन, एसजीपीटी, एसजीओटी का स्तर असामान्य रूप से बढ़ा हुआ था। इसी कारण से उन्हें अत्यधिक कमजोरी, गैस, एसिडिटी, भूख न लगना, पाचन सही न होना तथा चक्कर जैसी समस्याएं हो रही थीं। आयुर्वेद के सिद्धांतों के अनुसार, नाड़ीवैद्य डॉ.नागेंद्र नारायण शर्मा ने अमन कुमार को लिवर को साफ करने और उसे सामान्य रूप से कार्य करने में मदद करने के लिए कुछ विशेष आयुर्वेदिक औषधियाँ दीं। इसके साथ ही, उन्हें कुछ विशिष्ट योगाभ्यास सुझाए और कड़े परहेज का पालन करने को कहा गया।
नाड़ीवैद्य नागेंद्र नारायण शर्मा द्वारा निर्देशित औषधियों का नियमित सेवन, सुबह का योग अभ्यास और बताए गए परहेज का ईमानदारी से पालन करने का नतीजा यह रहा कि अमन कुमार को मात्र 15 दिनों के भीतर ही अपनी सेहत में अप्रत्याशित सुधार महसूस होने लगा। और 6 माह लगातार औषधि सेवन के बाद उनकी कमजोरी, गैस, एसिडिटी, भूख न लगना, पाचन सही न होना तथा चक्कर आदि सभी दिक्कतें समाप्त हो गईं और उनकी सोनोग्राफी रिपोर्ट में फैटी लिवर की समस्या भी नहीं रही तथा सभी रिपोर्ट भी नॉर्मल आ गई।
नाड़ीवैद्य डॉ.नागेंद्र नारायण शर्मा ने कहा की लोगों में यह भ्रांति है की आयुर्वेद दवा लिवर, किडनी को नुकसान पहुंचाती है। यह चिकित्सा परिणाम यह भ्रम दूर करता है की आयुर्वेदिक दवा लिवर, किडनी को नुकसान पहुँचाती है। आयुर्वेदिक दवा लिवर किडनी को नुकसान नहीं पहुंचाती अपितु लिवर, किडनी को ठीक करती है साथ ही उससे संबंधित समस्याओं एवं रोगों को भी जड़ से दूर करती है ।अतः सभी लोगों को अपनी चिकित्सा हेतु पहली प्राथमिकता आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति को देनी चाहिये जो शाश्वत, विशुद्ध, निरापद एवं हानिरहित है।
(Udaipur Kiran) / हरीश तिवारी
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