जगदलपुर, 28 मई . केंद्रीय गृह मंत्रालय ने बस्तर जिले को नक्सल प्रभावित लेफ्ट विंग एक्स्ट्रिमिज्म (एलडब्ल्यूई) जिलों की सूची से बाहर कर दिया है. अप्रैल से शुरू हुए नए वित्त वर्ष से एलडब्ल्यूई के तहत बस्तर जिले को मिलने वाली केंद्रीय मदद को बंद कर दिया गया है.
बस्तर के कलेक्टर हरीश एस. ने बुधवार को बताया कि केंद्रीय गृह मंत्रालय ने बस्तर जिले को एलडब्ल्यूई जिलों की सूची से बाहर कर दिया है और अप्रैल 2025 से एलडब्ल्यूई के तहत मिलने वाली केंद्रिय सहायता भी बंद कर दी गई है. ऐसे में अब बस्तर जिला नक्सल प्रभावित-एलडब्ल्यूई से निकलकर एक सामान्य जिला के रूप में स्थापित हो चुका है.
बस्तर संभाग में सात जिले हैं, जिनमें बस्तर, दंतेवाड़ा, बीजापुर, सुकमा, नारायणपुर, कोंडागांव व कांकेर शामिल हैं. बस्तर जिले के कोलेंग, तुलसीडोंगरी, जगदलपुर से लगे माचकोट, तिरिया, लोहंडीगुड़ा इलाके के मारडूम, ककनार, बारसूर सीमा के इलाके नक्सलवाद से प्रभावित थे. दरभा की झीरम घाटी में दो कैंपों सहित कोलेंग, तुलसीडोंगरी में कैंप खोलने के बाद यहां से नक्सली पलायन कर गये हैं. मारडूम में कैंप व थाना खोला गया, इसी प्रकार ककनार व चित्रकोट में चौकी और कैंप खोले गए हैं, लोहंडीगुड़ा में सीआरपीएफ कैंप खोला गया. इसके अलावा इन इलाकों तक पक्की सड़कों का जाल बिछाने के साथ ही पूरे जिले को सुरक्षा की दृष्टिकाेंण से पूरी तरह से घेराबंदी किया गया है.
बस्तर जिले की सीमा से अबूझमाड़ और ओडिशा की एक बड़ी लंबी सीमा लगती थी. यहां से दरभा कोलेंग, तुलसीडोगरी, चांदामेटा की पहाड़ियों पर 2 वर्ष पहले तक सुरक्षाबलाें तक का पहुंचना मुश्किल माना जाता था. इसी इलाकों में नक्सली गांजे की खेती करते थे. इसी दरभा के झीरम घाटी में नक्सलियों ने बड़ा हमला कर कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व सहित 30 लाेगाें की हत्या कर दी, लेकिन केंद्र और राज्य सरकार के दृढ़ संकल्प से बस्तर जिले के नक्सल प्रभावित सभी इलाकों में विकास कर ग्रामीणों को समाज से जोड़ा जा रहा है, जिसके परिणाम स्वरूप बस्तर जिला पूरी तरह नक्सलमुक्त हो चुका है.
कलेक्टर हरीश एस. के मुताबिक नक्सल प्रभावित एलडब्ल्यूई के तहत केंद्र सरकार से बस्तर जिले में विकास कार्यों व नक्सल उन्मूलन के लिए करोड़ों रूपये का सहायता मिलती थी. मार्च 2025 तक बस्तर जिले को यह राशि जारी की गई, लेकिन अप्रैल 2025 से केंद्र सरकार ने एलडब्ल्यूई फंड पर रोक लगा दी है. इससे बस्तर में नक्सलवाद पर प्रभावी नियंत्रण और सुरक्षा स्थिति में सुधार के संकेत मिलने लगे हैं.—————
/ राकेश पांडे
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