उत्तराखंड के गाँवों में लोकतंत्र की नई बयार बहने वाली है। हरिद्वार को छोड़कर प्रदेश के 12 जिलों में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव की तैयारियाँ जोरों पर हैं। हाल ही में उत्तराखंड शासन ने चुनावी कार्यक्रम की अधिसूचना जारी की, जिसके बाद राज्य निर्वाचन आयोग ने भी अपनी मुहर लगा दी। यह चुनाव दो चरणों में संपन्न होंगे, जिसमें 24 जुलाई को पहले चरण और 28 जुलाई को दूसरे चरण का मतदान होगा। इसके बाद 31 जुलाई को सभी क्षेत्रों में एक साथ मतगणना होगी। यह प्रक्रिया न केवल स्थानीय नेतृत्व को चुनेगी, बल्कि गाँवों के विकास को नई दिशा भी देगी।
अधिसूचना का नया अध्यायपंचायत चुनाव की घोषणा का यह सफर आसान नहीं रहा। बीते 21 जून को पहली अधिसूचना जारी हुई थी, लेकिन नैनीताल हाईकोर्ट के एक आदेश ने इस प्रक्रिया को अस्थायी रूप से रोक दिया। अब, सभी कानूनी अड़चनों को पार करते हुए, राज्य निर्वाचन आयोग ने नई अधिसूचना के साथ चुनावी बिगुल बजा दिया है। इस बार 30 जून को जिला निर्वाचन अधिकारी अपनी-अपनी अधिसूचनाएँ जारी करेंगे, जिसके बाद 89 विकासखंडों और 7,499 ग्राम पंचायतों में मतदान की प्रक्रिया शुरू होगी। यह चुनाव न केवल स्थानीय शासन को मजबूत करेगा, बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों में विकास की नई संभावनाएँ भी खोलेगा।
ग्रामीण लोकतंत्र की ताकतउत्तराखंड के गाँव हमेशा से अपनी सांस्कृतिक और सामाजिक समृद्धि के लिए जाने जाते हैं। त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव इन गाँवों को और सशक्त बनाने का एक महत्वपूर्ण कदम है। यह प्रक्रिया ग्राम पंचायतों, क्षेत्र पंचायतों और जिला पंचायतों के लिए नए नेतृत्व का चयन करेगी, जो स्थानीय समस्याओं का समाधान और विकास योजनाओं को लागू करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे। गाँवों की जनता इस बार उत्साह के साथ अपने मताधिकार का उपयोग करने को तैयार है, ताकि उनके क्षेत्र की आवाज़ को और बुलंद किया जा सके।
मतदान का उत्सवपंचायत चुनाव उत्तराखंड के लिए केवल एक प्रशासनिक प्रक्रिया नहीं, बल्कि लोकतंत्र का उत्सव है। दो चरणों में होने वाला यह मतदान गाँव-गाँव तक लोकतांत्रिक मूल्यों को पहुँचाएगा। पहले चरण में 24 जुलाई को और दूसरे चरण में 28 जुलाई को मतदान होगा, जिसमें ग्रामीण अपनी पसंद के नेतृत्व का चयन करेंगे। इसके बाद 31 जुलाई को होने वाली मतगणना के साथ ही नए पंचायत प्रतिनिधियों के नाम सामने आएँगे। यह प्रक्रिया निष्पक्ष और पारदर्शी तरीके से संपन्न हो, इसके लिए निर्वाचन आयोग ने कड़े इंतजाम किए हैं।
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