मुख्यमंत्री ने ‘उत्तर प्रदेश इंस्टीट्यूट आफ फारेंसिक साइंसेज’ के तीसरे स्थापना दिवस पर ‘साइबर युद्ध के आयाम, बहुपक्षीय कानूनी ढांचे, फॉरेंसिक और रणनीतिक प्रतिकार’ विषय पर आयोजित तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय समिट के उद्घाटन अवसर पर कहा कि जुलाई 2024 से सात साल से अधिक की सजा वाले सभी मामलों में फोरेंसिक साक्ष्य अनिवार्य हो गए हैं।
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उन्होंने कहा कि 2017 से पहले उत्तर प्रदेश में कम सुविधाओं वाली केवल चार फोरेंसिक प्रयोगशालाएं थीं मगर आज 12 आधुनिक प्रयोगशालाएं स्थापित हो चुकी हैं तथा 6 अन्य निर्माणाधीन हैं। उन्होंने कहा कि सभी 75 जिलों में मोबाइल फोरेंसिक इकाइयां तैनात की गई हैं और पूरे राज्य में साइबर पुलिस थाने स्थापित किए गए हैं। आदित्यनाथ ने कहा कि राज्य के सभी 1,587 थानों में साइबर हेल्प डेस्क भी स्थापित किए गए हैं जहां मास्टर प्रशिक्षकों की मदद से मामलों का निपटारा किया जा रहा है।
कानून प्रवर्तन में बदलाव पर प्रकाश डालते हुए आदित्यनाथ ने कहा, भारतीय संस्कृति ने हमेशा ज्ञान की खोज और समय के साथ अनुकूलन को प्रोत्साहित किया है। उन्होंने कहा कि 2017 से पहले अपराधियों को पकड़ने में अक्सर वर्षों लग जाते थे लेकिन अब उत्तर प्रदेश पुलिस तकनीक और फोरेंसिक विज्ञान की मदद से उन्हें 24 से 48 घंटों के भीतर पकड़ लेती है।
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इससे पहले, मुख्यमंत्री ने पद्मश्री डॉ. लालजी सिंह उन्नत ‘डीएनए डायग्नोस्टिक सेंटर’, एआई, ड्रोन और रोबोटिक्स प्रयोगशाला और अटल पुस्तकालय का उद्घाटन किया। उन्होंने छात्रों को स्मार्ट टैबलेट भी वितरित किए और 75 मोबाइल फोरेंसिक वैन को हरी झंडी दिखाई। (भाषा)
Edited By : Chetan Gour
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